लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में जब पहली कोरोना मरीज की खबर सामने आई थी, तो सभी परेशान हो गए थे। वह महिला डॉक्टर भी हैरान हो गई थीं, जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि पूरी सतर्कता बरतने के बाद भी वह कैसे इसका शिकार हो गई। इसके बाद इस महिला डॉक्टर ने केजीएमयू में इलाज के दौरान पूरी हिम्मत दिखाई और न सिर्फ इस लाइलाज बीमारी को मात दी बल्कि पूरी तरह ठीक होकर घर भी आ गई। पेश है कोरोना को हराने वाली महिला डॉक्टर से खास बातचीत।।।
टोरंटो से आई थी
महिला डॉक्टर ने बताया कि वो परिवार के साथ कनाडा के टोरंटो से 8 मार्च को लखनऊ आईं और गोमती नगर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां गईं। उस समय भी मुझे कोरोना को लेकर पूरी जानकारी थी, इसलिए रास्ते भर सभी सावधानियां बरती थीं। अचानक गले में खराश के साथ बुखार सा लगने लगा। इस पर मैं तुरंत केजीएमयू गई और पूरा चेकअप कराया।
शॉक लग गया था रिपोर्ट सुनकर
क्चमहिला डॉक्टर ने बताया कि जब यहां आई तो मेरा सैंपल लिया गया। उस समय डॉ। डी हिमांशु ही देख रहे थे। जब तक मेरी रिपोर्ट नहीं आई उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया। लेकिन जैसे ही उन्होंने बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं, मैं शॉक्ड हो गई। सोचने लगी कि इतनी सावधानी के बाद भी मुझे कोरोना कैसे हो गया। डर सता रहा था कि कहीं मेरे परिवार और मैं जिनसे मिली हूं, उन्हें भी कोरोना संक्रमण न हो जाए। आखिर वे सभी मेरे परिवार का ही हिस्सा हैं।
खुद तय किया कैसा ट्रीटमेंट लेना है
मैं भी डॉक्टर हूं और काफी रिसर्च भी कर रही हूं। इसलिए जब मुझे कई ट्रीटमेंट प्रपोज किए गए तो रिसर्च करके खुद डिसाइड किया कि किस ट्रीटमेंट के साथ आगे जाना है। साइड इफेक्ट आदि के बारे में पूछा। डॉक्टर होने के नाते मेरी उनके साथ अलग ही लेवल की बात होती थी।
बेहद प्रोफेशनल डॉक्टर्स हैं
महिला डॉक्टर ने बताया कि जब यहां आई थी तो लगा कि यह सरकारी अस्पताल है। यहां अच्छे रूम और इलाज की समस्या होगी, लेकिन यहां के डॉक्टर काफी प्रोफेशनल हैं। उन्होंने हमेशा मेरी मदद की। जब भी मैं फोन करके उनसे कुछ पूछती तो वे मेरी हर बात का अच्छे से जवाब देते। मैं उन सबका शुक्रिया करती हूं।
कमरे में रहना मुश्किल था
उन्होंने बताया कि ट्रीटमेंट के दौरान एक कमरे में बंद रहना बेहद कठिन था। इस दौरान मेरे परिवार और रिश्तेदारों ने काफी मदद की। वे दिन में कई-कई बार फोन करके मेरा हाल लेते रहे। यहां इस दौरान मैंने अपने रिसर्च पर खूब काम किया और कोरोना की अपडेट, वेब सीरीज को भी देखती रही।
पिता बने सबसे बड़ी ताकत
कोरोना को मात देने वाली डॉक्टर ने बताया कि इस पूरे ट्रीटमेंट के दौरान उनके पिता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बने। वे मुझे दिन में दो-तीन बार फोन करके मोटिवेट करते रहते थे। मेरी कजिन ने भी मेरा खूब साथ दिया। वो दिन में तीन बार मेरे लिए खाना लेकर आती और मुझे खूब हंसाने का काम करती। ताकि मेरा ध्यान इस बीमारी से हट सके।
बच्चे को किया मिस
उन्होंने बताया कि इस पूरे ट्रीटमेंट के दौरान उन्होंने अपने बच्चे को काफी मिस किया। सोशल मीडिया पर तो उससे मैं कनेक्ट रहती थी लेकिन इस बात का मलाल रहता था कि मैं न तो उसके साथ खेल पा रही थी और ना ही उसे गले लगा पा रही थी।
पॉजिटिव रहना चाहिए
महिला डॉक्टर ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। कोरोना के टेस्ट में कोई दर्द नहीं होता है। जिन लोगों का कोरोना का इलाज चल रहा है, वे पॉजिटिव रहें और उम्मीद न छोड़ें। ये बीमारी मुश्किल तो है लेकिन हिम्मत से इसे भी हराया जा सकता है।
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