कनेक्टिकट [यूएस] (एएनआई): येल के अकीको इवासाकी की एक नई स्टडी के मुताबिक चूहों पर किए गए प्रयोग में यह पाया गया कि नसल वैक्सीन तमाम तरह के स्वसन तंत्र से जुड़े वायरस के खिलाफ व्यापक स्तर पर सुरक्षा प्रदान करता है। इस स्टडी के सीनियर प्रोफेसर इवासाकी के मुताबिक वायरस खिलाफ सबसे ज्यादा प्रतिरक्षा, शरीर में एंट्री करने के गेट पर होती है। जहां से वायरस बॉडी में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। म्यूकस मेंब्रेन यानी श्लेष्मा झिल्ली में स्वयं की प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। जब इस पर हवा या खाने से जुड़े तमाम तरह के वायरस का अटैक होता है, तो वो उनका मुकाबला करती है।

वायरस से सुरक्षा के लिए B-cells का होता है निर्माण
उस दौरान बॉडी की प्रतिरक्षा प्रणाली B-cells का निर्माण करती है जो कि एक तरह का एंटीबॉडी होता है किसी सामान्य टीके के विपरीत यह प्रतिरक्षा प्रणाली बॉडी को व्यापक स्तर पर वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है। immunoglobin A (IgA) आईजी ए एंटीबॉडी नाक पेट और फेफड़ों में पाए जाने वाले म्यूकस की सतह पर मौजूद रहते हैं और वायरस को बॉडी में सक्रिय होने से रोकते हैं। येल टीम वर्तमान में एनिमल मॉडल में कोविड-19 वेरिएंट के खिलाफ कई तरह के नाक के टीकों का परीक्षण कर रही है। इवासाकी ने बताया कि चूहों पर किए गए प्रयोग में सामान्य इंजेक्शन वाले टीके और नाक के टीके दोनों ने ही चूहों के शरीर में एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाया, लेकिन नाक आधारित टीके ने उनके फेफड़ों में IgA स्त्राव को ज्यादा विकसित किया है, जहां से स्वसन आधारित वायरस मनुष्य व जानवरों को संक्रमित करना शुरू करते हैं।

इंसानों में साबित हो कारगर, तो इसका इस्‍तेमाल बनाएगा बहुत सुरक्षित
उनके मुताबिक यदि नाक आधारित टीका मनुष्यों के मामले में भी सुरक्षित और कारगर साबित होता है। तो इन्हें मौजूदा टीके और बूस्टर के साथ मिक्स करके इस्तेमाल किया जा सकता है, जोकि वायरस संक्रमण के सोर्स पर अटैक करने के लिए इम्यून सिस्टम को हर तरह से मजबूती प्रदान करेगा। इस अध्ययन के अन्य सह-लेखक येल से जी यूं ओह, एरिक सॉन्ग और मियू मोरियामा रहे हैं, जिन्‍होंने इस स्‍टडी पर काम किया है।

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