दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सफलता ने दिल्ली के कांग्रेसी दिग्गजों का राजनीतिक करियर एक तरह से समाप्त कर दिया. विधानसभा बनने के बाद डेढ़ से दो डिकेट तक विधानसभा में उपस्थिति दर्ज करा चुके कांग्रेसी नेता इस बार धराशायी हो गए हैं.
धराशायी हुए दिग्गज
कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता में आने का अब उन्हें कब मौका मिलेगा कहना मुश्किल है. कई नेता तो उम्र की उस दहलीज पर पहुंच गए हैं कि चंद साल बाद चुनाव लडऩे की स्थिति में ही नहीं होंगे. अब एक नए चेहरे की तलाश ही पार्टी के पास इकलौता आप्शन बचेगा. दिल्ली सरकार के पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर डॉ अशोक कुमार वालिया, राजकुमार चौहान, प्रो किरण वालिया, चौधरी प्रेम सिंह, महाबल मिश्रा, डॉ योगानंद शास्त्री सहित कई नेता भारी मतों से हार गए हैं. दिल्ली की राजनीति में अब इनका सियासी सिक्का शायद ही चले. पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ये दिग्गज हार गए थे. तब उन्होंने यह तर्क दिया था कि पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को वे ठीक तरह से नहीं आंक पाए. इस बार भी जनता का मूड भांपने में पूरी तरह विफल रहे.
सितारे हारे जमानत की जंग
कांग्रेस की किस कदर दुर्दशा हुई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के 70 में से महज आठ प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाए और महज चार प्रत्याशी ही दूसरे नंबर पर रहे. पार्टी के चेहरे के तौर पर चुनाव लड़े अजय माकन तक अपनी जमानत नहीं बचा पाए. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी प्रह्लाद सिंह साहनी, मुस्तफाबाद से हसन अहमद, मटिया महल से शोएब इकबाल, जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह, लक्ष्मी नगर से डॉ. अशोक कुमार वालिया, बादली से देवेंद्र यादव और मंगोलपुरी से राजकुमार चौहान ही अपनी जमानत बचा पाए. जबकि 62 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.Hindi News from India News Desk
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