एक अध्यापक अपने शिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे, लेकिन वे इसे समझ नहीं पा रहे थे। तभी अध्यापक ने शिष्यों को फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा दिखाया। उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल मिट्टी का एक ढेला उठाकर ले आने को कहा।

जब शिष्य ढेला उठा लाया, तो अध्यापक ने उसे सूंघने को कहा। शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला, 'इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है। ' तब अध्यापक ने सभी शिष्यों से मनमोहक खुशबू आने की वजह पूछी।

इसके बाद उन्होंने स्वयं ही बताया, ' दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है। यह असर संगत का है और जिस प्रकार गुलाब की पंखुडि़यों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी, उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुणदोष आ जाते हैं।

कथासार

अच्छे लोगों की संगति का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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