कहानी:
मत पूछिए, मैं बता नहीं पाऊँगा, फिर भी कोशिश करता हूँ। एक लाइन में बोलूँ तो 'एक मनी लॉन्डरिंग रैकेट को एक्सपोज़ करने के लिए कुछ स्टंटमैन लगे हैं' और लगे रहते हैं फिल्म के एंड तक लगे रहते हैं और स्टंट करते रहते हैं।
कथा, पटकथा और निर्देशन :
काला धन और मनी लॉन्डरिंग रेकेट्स पर चर्चा तब से चल रही है जब से मोदी जी ने 1000 और 500 के नोट बैन किये हैं। इतनी चर्चा हो गई है, कि अब मन उकता गया है। अब तो लोग उसपर अखबार की हैडलाइन भी नहीं पढ़ते, उस बारे में एक पूरी फिल्म देखने की हिम्मत बना पाना बड़ा मुश्किल काम है, खासकर तब जब फिल्म की कहानी 1000 और 500 के नोट्स की तरह बेमतलब और 'यूज़'लेस हो। फिल्म की कहानी बेहद लचर है और स्क्रीनप्ले अनइन्टेन्शनली फनी है। एक पॉइंट के बाद आ कर आपको ये समझ में नहीं आता की आप फिल्म देखने आखिर क्यों आये हैं। इस पूरी फिल्म में फॉर्मूलों की अंधी गुफा में फिल्म के सभी किरदार स्टंट करते रहते हैं, इसके अलावा वो किस काम के लिए फिल्म में हैं ये समझना मेरी समझ से परे है। फिल्म के डॉयलॉग फिल्म की खराब कहानी से भी ज्यादा खराब हैं। फिल्म की अभिनेत्री अदा शर्मा का किरदार एक बेहद मूर्ख और अजीब किस्म का किरदार है (फोर्स की के के से भी ज्यादा)। इतनी मूर्ख लड़की को कोई भी सरकार, इंटेलिजेंस में कैसे भर्ती कर सकता है? मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की वो फिल्म की एक्ट्रेस हैं या कॉमेडियन। फिल्म के स्टंट अच्छे हैं, बेहतर है की विद्युत् के स्टंट्स पर एक टीवी शो अलग से बना दिया जाए, कम से कम ऐसी स्टुपिड फिल्मों को झेलना तो नहीं पड़ेगा।
'अदा'कारी :
इस बारे में क्या लिखा जाए? शुरू करते हैं 'अदा'कारी की मल्लिका अदा शर्मा से, जो बेहद इरीटेटिंग किरदार हैं पर फिर भी वो फिल्म की सबसे एंटरटेनिंग करैक्टर वही हैं, तो सोचिये बाकी सब कैसे होंगे। अनूप सिंह ठाकुर, ईशा गुप्ता, और फ्रेडी दारूवाला ने एक एक्सप्रेशन में पूरी फिल्म काट दी है, इससे ज्यादा एक्सप्रेशन तो विडियो गेम में सीजी करैक्टर दे देते हैं। विद्युत् जी, आप बहुत डैशिंग हैं, बेहद अच्छे स्टंट करते हैं, प्लीज किसी अच्छी सी हॉलीवुड की एक्शन फिल्म में दर्शन दीजिये, बॉलीवुड की एक्शन फिल्म्स आपके स्टंट्स के काबिल नहीं हैं। आदिल हुसैन, शेफाली शाह, सुहैल नय्यर का काम बढ़िया है, पर उससे फिल्म को कोई फायदा नहीं पहुँचता।
संगीत :
वाहियात है। एक तो फिल्म की कहानी घिसी पिटी है ऊपर से म्यूजिक भी हड़प्पा की खुदाई से निकला हुआ सा प्रतीत होता है बेहद लचर है।
कुल मिलाकर मैं स्पीचलेस हूँ। देवेन भोजानी जी...ये आपने क्या किया? मेरे फेवरिट हैं आप। इससे अच्छा तो आप साराभाई वर्सिस साराभाई पर ही एक फिल्म बना देते, दिल खुश हो जाता, पैसे भी कम लगते और मैं और बहुत सारी जनता आपको दिल से आपको दुआ देती। अब आप मुझे दुआ दीजिये या इस सर दर्द को दूर करने की दवा दीजिये।
फिल्म का बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : फिल्म अपने पूरे रन में 20 करोड़ तक कमा सकती है।
Review by : Yohaann Bhaargava
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