मस्तिष्क में जम गया था खून
सीएनएन की खबर के मुताबिक उसके मस्तिष्क में खून जमा हो गया था. न्यूरोसर्जन डॉ. गुप्ता ने सीएनएन को फोन पर बताया कि अस्पताल के अन्य डॉक्टरों ने उनसे यह ऑपरेशन करने को कहा. मुझे लगता है कि उन्हें वाकई बहुत मदद की जरूरत थी क्योंकि वहां वाकई डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है. सीएनएन में बतौर मुख्य स्वास्थ्य संवाददाता काम करने के साथ-साथ, डॉक्टर गुप्ता अंटलांटा के एमोरी हेल्थकेयर में न्यूरोसर्जन भी हैं. तीन बच्चों के पिता डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान उन्हें बुनियादी उपकरणों से ही काम चलाना पड़ा.
आरी से किया ऑपरेशन
डॉ. गुप्ता ने बताया कि, उपकरणों की कमी के चलते इलेक्ट्रिक ड्रिल की जगह आरी और उचित स्क्रब सिंक की जगह जीवाणु रहित पानी और आयोडीन को बोतल से लेकर काम चलाना पड़ा. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि संध्या की हालत में ऑपरेशन के बाद सुधार है, लेकिन कुल मिलाकर वहां के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. सर्जरी के बाद एक आठ साल की बच्ची को भी हॉस्पिटल लाया गया, जिसे इसी तरह के ऑपरेशन की जरूरत थी.
घायलों को चिकित्सीय सुविधाएं देना बड़ी चुनौती
इस प्राकृतिक आपदा में 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. इतने अधिक घायलों को चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराना भी बड़ी चुनौती है. ऐसा पहली बार नहीं है कि 45 वर्षीय डॉक्टर गुप्ता ने रिपोर्टिंग के दौरान सर्जरी की हो. इससे पहले वह 2003 में ईराक में रिपोर्टिंग के दौरान भी ईराकी नागरिकों और अमेरिकी सैनिकों की इमरजेंसी सर्जरी कर चुके हैं. 2010 में हैती में आए भूकंप में भी गुप्ता और अन्य डॉक्टरों ने 12 साल की एक बच्ची की खोपड़ी से कंक्रीट का एक टुकड़ा निकाला था.
Courtesy : नई दुनिया
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