- पलक झपकते ही सिस्टम और मोबाइल फोन्स में एंटर हो जाता है वायरस
- फिशिंग के जाल में फंसने पर डाटा चोरी व तमाम एॅपलीकेशन हैक करना चुटकियों का खेल
- पिकैडली होटल के डाटा चोरी समेत कई लोगों की यूपीआई व बैंक एप्लीकेशन हो चुकी हैं हैक
- यूपी एसटीएफ की साइबर विंग भी बेबस, विदेशों में बैठे हैकर्स दे रहे करतूतों को अंजाम
pankaj.awasthi@inext.co.in
LUCKNOW (9 May): सोशल साइट्स फेसबुक, वॉट्सएप या फिर ट्विटर पर आकर्षक व लुभावने ऑफर वाले एॅडवर्टिसमेंट तो आपने अक्सर देखे होंगे. इन एडवर्टिसमेंट में दर्शायी गई चीज बेहद कम कीमत पर बेचने का झांसा दिया जाता है. अगर आप इस लुभावने ऑफर के फेर में फंसे और उसमें दिये गए लिंक को क्लिक किया तो समझिए आपने आफत को खुद ही न्योता दे दिया. यह हैकर्स द्वारा फेंका गया वह जाल है, जो न सिर्फ आपके कंप्यूटर सिस्टम पर मौजूद डाटा को चोरी करवा सकता है बल्कि, आपके मोबाइल फोन पर मौजूद यूपीआई व बैंक एॅप्लीकेशन का कमांड हैकर्स के हाथ में दे सकता है. आइये आपको बताते हैं कु छ ऐसे ही केस के बारे में जो यूपी एसटीएफ की साइबर विंग और साइबर क्राइम सेल के लिये अनसुलझी गुत्थी बन गए हैं-
केस:1-पिकैडली होटल का सर्वर हैक
कृष्णानगर के कानपुर रोड स्थित पिकैडली होटल में 27 फरवरी की रात करीब 11.45 बजे होटल के मेन सर्वर पर साइबर अटैक किया गया. हैकर्स ने वर्ष 2012 से लेकर 27 फरवरी 2019 तक का सारा डाटा इंक्रिप्ट कर उसको ईटीएच फाइल में बदल दिया. होटल प्रशासन ने जब सर्वर पर मौजूद डाटा खोलने की कोशिश की तो डाटा नहीं खुला. हैकर्स ने डाटा चुराने के बाद के बाद होटल को एक ईमेल भी भेजा है. जिसमें लिखा था- (RALL YOUR DATA HAS BEEN LOCKED US. YOU WANT TO RETURN? write email- helpfilerestore@india.com) यह हैकर्स द्वारा भेजा गया रंगदारी का मैसेज था. मामला साइबर क्राइम सेल और उसके बाद यूपी एसटीएफ की साइबर क्राइम विंग को ट्रांसफर किया गया लेकिन, अब तक हैकर्स की धरपकड़ नहीं हो सकी.
केस:2-यूपीआई एॅप से बिना जानकारी ट्रांसफर हुई रकम
एक प्राइवेट रिटेल स्टोर में सेल्स एग्जीक्यूटिव मानस श्रीवास्तव के अकाउंट से अचानक 20 हजार रुपये दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर हो गए. मैसेज आने पर जब मानस को पता चला तो वे भागे-भागे बैंक पहुंचे. लेकिन, वहां पता चला कि यह रकम मानस के मोबाइल में मौजूद यूपीआई एॅप से ट्रांसफर की गई है. फोन मानस के ही पास था और उन्होंने यह रकम ट्रासंफर नहीं की थी. अभी वे कुछ समझने की कोशिश कर रही रहे थे कि अगले दिन दोबारा उनके अकाउंट से 20 हजार रुपये दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर हो गए. हलकान मानस आनन-फानन साइबर क्राइम सेल पहुंचे. शुरुआती जांच में पता चला कि मानस की यूपीआई एॅप हैक हो चुकी है और उसका कमांड कहीं दूर बैठे हैकर्स ने अपने हाथों में ले लिया है. अब तक हैकर्स की पहचान नहीं हो सकी है.
केस:3-बैंक एॅप से हो गई शॉपिंग
सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल राजीव कुमार के मोबाइल फोन पर 12 मार्च को एसएमएस आया. जिसमें उनके बैंक अकाउंट से शॉपिंग साइट पर 48 हजार रुपये की ऑनलाइन शॉपिंग की जानकारी थी. राजीव ने समझ लिया कि उनके डेबिट कार्ड का डाटा हैक हो गया है, उन्होंने फौरन डेबिट कार्ड को ब्लॉक करवा दिया. लेकिन, अगले ही दिन फिर से उनके अकाउंट से शॉपिंग साइट के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग कर ली गई. राजीव ने साइबर क्राइम सेल में शिकायत की तो पता चला कि उनका मोबाइल फोन हैकर्स ने हैक कर रखा है. उस पर मौजूद बैंक एॅप्लीकेशन का कमांड हैकर्स ने हासिल कर रखा है. साइबर सेल कर्मियों ने राजीव के मोबाइल फोन से आनन-फानन बैँकिंग एॅप को अनइंस्टॉल कराया. लेकिन, हैकर्स का पता लगाने में नाकाम रहे.
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जरा सी चूक से बड़ा नुकसान
सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट सचिन गुप्ता ने बताया कि सोशल साइट्स वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर शो होने वाले अनजान लिंक पर क्लिक करने पर बैकएंड पर सॉफ्टवेयर डाउनलोड हो जाता है. यह सॉफ्टवेयर इंटरनेट के जरिये कंप्यूटर सिस्टम पर मौजूद सभी फाइल कॉपी कर हैकर्स को भेजता रहता है. इसके अलावा इन दिनों हैकर्स सोशल साइट्स पर अनजान लिंक या स्पैम मेल के जरिए भी लिंक भेजते हैं. जिन पर क्लिक करते ही कंप्यूटर सिस्टम पर रेंसमवेयर डाउनलोड हो जाता है. जिसके बाद यह सारे डाटा को इंक्रिप्ट कर देता है. जिसके बाद कंप्यूटर का डाटा पढ़ने लायक नहीं बचता व कंप्यूटर लॉक भी हो जाता है. ऐसी स्थिति में हैकर्स बिट क्वाइन या अन्य तरीकों से इसे ओपन करने के लिये रंगदारी मांगते हैं. पॉर्न साइट्स देखने के दौरान भी वायरस मोबाइल फोन या कंप्यूटर सिस्टम में खुद-ब-खुद डाउनलोड हो जाता है. जिसके बाद आपके मोबाइल फोन्स या कंप्यूटर का कमांड हैकर्स के हाथों मे हो जाता है, जिसके बाद वे इसका मनमाफिक इस्तेमाल करते हैं.
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यह सावधानी बरतें-
-मोबाइल फोन पर कोई भी एप्लीकेशन प्ले स्टोर या एॅप स्टोर पर जांचने-परखने के बाद ही डाउनलोड करें.
-ऑनलाइन शॉपिंग केवल विश्वसनीय साइट्स से ही करें.
-कंप्यूटर के ड्राइव को हर दो-तीन दिन में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर से स्कैन करें.
-ई-मेल अटैचमेंट को ओपन करने से पहले मेल के शो ओरिजनल ऑप्शन पर जाकर ई-मेल हेडर को चेक करें. अगर मैसेज आईडी की वेबसाइट नेम और प्राप्त ई-मेल आईडी के वेबसाइट नेम को मिलान करें. अगर दोनों नेम समान हैं तो मेल सही है और अलग है तो यह हैकर्स द्वारा भेजा गया मेल है.
-ई-मेल सोशल साइट्स के पासवर्ड बनाते समय ध्यान रखें कि इसमें स्मॉल लेटर, कैपिटल लेटर, न्यूमेरिक व सिंबल का समावेश हो.
-पासवर्ड बनाते वक्त कभी भी इसमें अपना नाम, जन्म तिथि या फिर मोबाइल नंबर का यूज न करें.
-मोबाइल या कंप्यूटर सिस्टम पर पॉर्न साइट्स न देखें, इसके जरिए आपके मोबाइल या कंप्यूटर सिस्टम में वायरस एंटर कराया जा सकता है.
-बैंकिंग एॅप्लीकेशन पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ऑप्शन को यूज करने के बाद तुरंत बंद कर दें.
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दुनिया का कोई भी शख्स महंगे सामान कौडि़यों के दाम नहीं बेच सकता. यह हैकर्स द्वारा फेंका गया जाल होता है, जिसके जरिए आम लोगों को शिकार बनाया जाता है. सोशल साइट्स का इस्तेमाल बेहद सावधानीपूर्वक करना चाहिये. किसी भी तरह की घटना होने पर पुलिस में शिकायत करें.
अभिषेक सिंह, एसएसपी, एसटीएफ