क्लाइमेंट चेंज के चलते तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इंन्वा़यमेंट को संभालने की समझ के चलते सुनने में आ रहा है कि क्लीन एनर्जी सेक्टर में आने वाले 10 सालों में करीब 10 लाख से ज्यादा जॉब्स के ऑफर मिलने वाले हैं. क्लाइमेट चेंज पर बढ़ते इंटरनेशनल प्रेशर को देखते हुए सरकार भी एनर्जी के ऐसे र्सोसेज को अपनाने पर जोर दे रही है जो ना तो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाते हो और ना ही पाल्यूशन फ़ैलाने एक काम करते हो. इस साल पैरिस में क्लाइमेट चेंज पर होने वाली समिट में इस बारे में ट्रीटी होने के पूरे आसार हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और पाल्यूशन फैलाने वाली इंडस्ट्रीज, पावर प्लांट्स और दूसरी फील्ड्स में करेंट टेक्नॉलजी को इंप्रूव करने के इफेक्ट्वि आप्शन को ढू़ढा और यूज में लाया जाए.
इंडिया भी इस डायरेक्शन में काफी सीरियसली सोच रहा है और इस एंगल को ध्यान में रखते हुए क्लीन एनर्जी को इनकरेज करने के लिए कमर कसी जा रही है. यह भी पता चला है कि सरकार की प्लानिंग है कि इसके साथ साथ ही बेहतर रिर्सोसेज की हेल्प से इस डायरेक्शन में आगे बढ़ने के लिए अगले सात सालों में सोलर एनर्जी से एक लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने का टारगेट भी अचीव किया जा सके. इसके साथ ही विंड पावर से भी अगले 10 सालों में एक लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने की योजना है. इंडिया की कैपेसिटी विंड पावर से कम से कम तीन लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने की है. इस गोल को अचीव करने के लिए सरकार को फिलहाल कम से कम दो अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट की जरूरत है.
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