वांग यी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत के तौर पर भारत की नई सरकार के साथ राजनीतिक संपर्क स्थापित करने के मकसद से दिल्ली आए हैं.
यात्रा के पहले दिन उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की. इसमें दौरान दोनों देशों के शिष्टमंडल के लोग भी शामिल थे.
भारत और चीन के बीच सैकड़ों किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है. इसके आलावा आपसी व्यापार में असंतुलन को लेकर भी दोनों देशों के बीच मतभेद रहे हैं.
सकारात्मक वार्ता
वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, "बातचीत सौहार्दपूर्ण, उपयोगी और सकारात्मक थी. इसमें दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई. इसके अलावा क्षेत्रीय मुद्दों पर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की."
अपनी दो दिवसीय यात्रा में वांग सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे.
"बातचीत सौहार्दपूर्ण, उपयोगी और सकारात्मक थी. इसमें दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई. इसके अलावा क्षेत्रीय मुद्दों पर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की."
-सैयद अकबरूद्दीन
वांग भारत के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर गहराई से विचार-विमर्श होगा.
सुषमा स्वराज के साथ हुई बातचीत में उन्होंने दोनों देशों के बीच पुराने रिश्तों का भी ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, "चीन के विदेश मंत्री का कहना था कि चीन भारत के विकास से काफ़ी ख़ुश होता है और दोनों देशों के बीच कई समानताएं हैं. भारत की तरह चीन भी अपनी प्राचीन संस्कृति पर गर्व करता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की नई सरकार के साथ चीन बेहतर संबंधों के साथ काम करेगा."
भारत में सत्ता परिवर्तन और नई सरकार के गठन के बाद दो देशों के बीच यह पहली औपचारिक मुलाकात है.
चीन का नया नेतृत्व ऐसे समय में भारत के साथ रिश्तों में सुधार चाहता है जब वह पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ और दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपींस और अन्य पड़ोसी देशों के साथ समुद्री विवाद को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है.
इसके अलावा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सेना का बड़ा दबाव भी बन रहा है.
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