ऐसे एक से ज़्यादा उदाहरण हैं जहां महिलाएं अकेली रहकर ख़ुश हैं. हालांकि सामाजिक दबाव है लेकिन ज़्यादा दिल दुखाने वाला रुख सरकारी मीडिया का है. बीजिंग रेडियो में काम करने वाली हुआंग युआनयुआन एक आत्मनिर्भर युवती हैं. वो आकर्षक हैं, अच्छी नौकरी है, अपना अपार्टमेंट है, चीन के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में से एक से एमए हैं और उनके बहुत सारे दोस्त भी हैं. लेकिन हुआंग तनाव में हैं, क्योंकि वो 29 साल की हो रही हैं.
तनाव
वो कहती हैं कि, "ये डरावना है, मैं एक साल और बड़ी हो गई हूं." हुआंग बताती हैं कि वो तनाव में क्यों हैं, "क्योंकि मैं अकेली हूं, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है और मुझ पर शादी के लिए भारी दबाव है." वो जानती हैं कि चीन में अकेली, शहरी पढ़ी-लिखी लड़की को आजकल ‘शेंग नु’ या ‘बची-खुची औरतें’ कहा जाता है. वो कहती हैं कि ये तकलीफ़देह है.
अकेली युवतियों पर सिर्फ़ परिवार और दोस्तों का ही दबाव नहीं होता चीन का सरकारी नियंत्रण वाला मीडिया भी उन पर प्रहार कर रहा है. सरकार की महिलावादी मानी जाने वाली वेबसाइट ऑल-चाइना वीमेन्स फ़ेडरेशन ने भी तब तक 'बची-खुची औरतें' पर आर्टिकल छापे जब तक बहुत सी महिलाओं ने ऐतराज़ नहीं किया.
लिंगानुपात में गड़बड़ी
सरकारी मीडिया 2007 से 'बची-खुची औरतें' नाम का इस्तेमाल कर रहा है. ये वही साल है जब सरकार ने चेतावनी दी थी कि चीन में लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है. इसकी वजह सरकार की एक-शिशु नीति के चलते चुनकर किए जाते रहे गर्भपात हैं.
राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग के अनुसार 30 साल से कम उम्र की युवतियों के मुकाबले चीन में 2 करोड़ युवक ज़्यादा हैं. बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय से समाज विज्ञान में पीएचडी कर रहे अमेरिकी हॉंग-फ़िंचर कहते हैं, "2007 के बाद से सरकारी मीडिया ‘बची-खुची औरतें’ नाम का प्रसार करने में पूरी तरह जुट गया. ख़बरों, कॉलमों, कार्टूनों के ज़रिये ऐसी पढ़ी-लिखी युवतियों जिनकी उम्र 27 से 30 साल की है उनके पीछे पड़ गया."
जनगणना के अनुसार 25-29 साल की पांच में से एक चीनी महिला अविवाहित है. चीन में पारंपरिक रूप से कम उम्र में लड़कियों की शादियां होती रही हैं. लेकिन अब शादी की उम्र बढ़ रही है. जैसे कि हर उस जगह होता है जहां महिलाएं शिक्षित होती हैं.
शादी की उम्र
1950 में चीन में शादी की औसत उम्र 20 थी, 1980 में ये 25 हो गई और अब ये करीब 27 है. अविवाहित पुरुषों की शादी की उम्र ज़्यादा है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि जोड़ियां आसानी से बन सकती हैं. चीनी पुरुष पढ़ाई और उम्र दोनों में अपने से ‘कमतर’ लड़की से शादी करना चाहता है.
हुआंग कहती हैं, "ये माना जाता है कि ए-क्वालिटी आदमी बी-क्वालिटी की औरत से शादी करेगा. बी-क्वालिटी का आदमी सी-क्वालिटी की औरत से. सी-क्वालिटी का आदमी डी-क्वालिटी की औरत से शादी करेगा."
वो आगे कहती हैं, "दिक्कत ये है कि जो लोग बच गए हैं उनमें ए-क्वालिटी की औरतें हैं और डी-क्वालिटी के आदमी. तो अगर आप एक ‘बची-खुची औरत’ हैं तो आप ए-क्वालिटी की हैं". उधर सरकारी मीडिया स्वतंत्र विचारों वाली ऐसी महिलाओं को निशाने पर लिए हुए है. ऑल-चाइना वीमेन्स फ़ेडरेशन वेबसाइट में मार्च 2011 में एक आर्टिकल छपा था, "बची-खुची औरतें सहानुभूति की हक़दार नहीं".
सहानुभूति नहीं
इसमें लिखा है, "ख़ूबसूरत लड़कियों को अच्छे परिवार में शादी करने के लिए बहुत पढ़ने की ज़रूरत नहीं होतीं. लेकिन औसत या ख़राब दिखने वाली लड़कियों के लिए ये मुश्किल होता है".
आर्टिकल आगे कहता है, "ये लड़कियां प्रतियोगिता में आगे बढ़ने के लिए पढ़ना चाहती हैं. लेकिन विडंबना ये है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है ये बेकार होती जाती हैं. तो जब तक ये एमए या पीएचडी करती हैं तब तक बूढ़ी हो चुकी होती हैं".
वेबसाइट ने 'बची-खुची औरतों' पर 15 लेख छापे. वैसे पिछले कुछ महीने से इसने 27-30 साल की अविवाहित युवतियों को ‘बची-खुची औरतें’ कहना बंद कर दिया है. ये अब उन्हें "बूढ़ी अविवाहित महिलाएं" कहती है.
वैसे 29 साल की मार्केटिंग एक्ज़ीक्यूटिव एलिसा अकेले रहने को बुरा नहीं मानतीं. हालांकि वो अपने परिवार वालों के कहने पर शादी के लिए लड़कों से मिलती हैं. लेकिन अब तक ये सब वक्त की बर्बादी ही साबित हुआ है.
वो अपने लिए सही आदमी चाहती हैं और जब तक ऐसा नहीं होता उनकी ज़िंदगी ठीक चल रही है. उनके पास बहुत से दोस्त हैं और वो जो चाहे कर सकती हैं.
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