प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे को चीनी नेतृत्व के समक्ष उठाया था। बीजिंग की ओर से अब जाकर इस पर बयान आया है। विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशियाई विभाग के उपमहानिदेशक हुआंग शिलियान के मुताबिक दोनों देश आतंकवाद से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा, ‘हम आतंकवाद के हर रूप का विरोध करते हैं, लेकिन बहुपक्षीय मंच पर इसे उठाने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत होती है। इस मसले पर हमें और बात करने की जरूरत है, ताकि दोनों पक्षों के बीच बेहतर समझ बन सके व उस पर बेहतर तरीके से काम किया जा सके। हम ऐसा करने को तैयार हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच आतंकवाद से मुकाबले पर बातचीत के लिए पहले ही एक तंत्र की स्थापना की जा चुकी है।’
बुधवार को भारतीय पत्रकारों के एक दल से बातचीत के दौरान हुआंग ने कहा कि आतंकवाद पर सिद्धांत रूप से दोनों देशों की स्थिति समान है। विशेष मुद्दों पर सहयोग और समझ बढ़ाने के लिए करीबी संवाद की जरूरत है। लखवी प्रकरण से पहले चीन हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और लश्कर आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई में भी अड़ंगा डाल चुका है। चीन ने सीमा विवाद को रचनात्मक तरीके से निपटाने की वकालत की है।
नहीं हैं गुलाम कश्मीर में चीन का एक भी जवान
गुलाम कश्मीर में चीनी सेना के पांच हजार जवान होने की रिपोर्ट को भी बीजिंग ने सिरे से खारिज किया है। हुआंग ने कहा, ‘पांच हजार लोग बहुत होते हैं। इसकी चींटी बराबर संख्या का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।’ उन्होंने बताया कि सेटेलाइट और अन्य अत्याधुनिक यंत्रों के जद से सेना के जवान नहीं बच सकते हैं। गुलाम कश्मीर में जवानों की मौजूदगी की रिपोर्ट को उन्होंने आधारहीन करार दिया।
लखवी पर जिरह
इस बीच 26/11 के मास्टरमाइंड लखवी के वकीलों ने गुरुवार को दो गवाहों से जिरह की। पाकिस्तान की आतंकरोधी अदालत में जिरह के दौरान गवाह के तौर पर हमले के सहयोगियों में से एक को आठ यामाहा बोट इंजन बेचने वाली कंपनी का मालिक भी उपस्थित था।
सुनवाई के बाद अदालत के अधिकारी ने बताया कि लखवी के वकीलों ने एक आरोपी अमजद खान को जापानी इंजन मुहैया कराने वाली कंपनी के मालिक से जिरह की। दूसरे गवाह के तौर पर एक कस्टम अधिकारी को पेश किया गया। दूसरे गवाह के अनुसार, अमजद खान द्वारा कस्टम ड्यूटी चुकाने के बाद जापान से आयात किए गए इंजनों को विभाग ने कस्टम क्लीयरेंस प्रदान किया था। इन इंजनों का प्रयोग लश्करे तैयबा के आतंकी अजमल कसाब और उसके साथियोंं ने मुंबई जाने के लिए अपनी नाव पर किया था।Hindi News from World News Desk
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