बीजिंग (पीटीआई)। आर्थिक बदहाली का शिकार पाकिस्तान को संकट से निकालने के लिए पीएम इमरान खान एक तरफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से कर्ज के लिए गुहार लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य ड्रोन समझौता की बात सामने आ रही है. चीन ने अपने सबसे खास सहयोगी पाकिस्तान को 48 अत्याधुनिक सैन्य ड्रोन बेचने का फैसला किया है। विंग लूंग-2 ड्रोन को लेकर हुए इस समझौते पर पाकिस्तानी सेना के सलाहकार का कहना है कि दोनों देशों के बीच यह अब तक का सबसे बड़ा सैन्य करार है। हालांकि, फिलहाल इस बड़े समझौते की कीमत का खुलासा नहीं किया गया है। कहा जा रहा है कि यह लगभग अमेरिकी एमक्यू-9 रेपर ड्रोन के बराबर है। बता दें कि यह आधुनिक ड्रोन एक साथ कई काम कर सकता है।
जासूसी के साथ हमला करने में भी सक्षम
चीनी मीडिया ने दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते की जानकारी भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम करार होने के बाद दी है। पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर आये थे, उसी दौरान इंडिया के साथ यह समझौता हुआ था। चीनी मीडिया ने बताया कि विंग लूंग-2 ड्रोन का इस्तेमाल जासूसी के साथ हमले में भी किया जा सकता है। इस ड्रोन को चीनी कंपनी चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्टि्रयल ने तैयार किया है। चीन के अलावा पाकिस्तानी वायुसेना की शेरदिल एयरोबैटिक टीम ने भी रविवार को सोशल मीडिया के जरिये इस ड्रोन समझौते की जानकारी दी है।
चीन और पाकिस्तान मिलकर तैयार कर रहे लड़ाकू विमान
गैरतलब है चीन आये दिन पाकिस्तान को आधुनिक हथियार सप्लाई करता है। दोनों देश मिलकर एकल इंजन वाला लड़ाकू विमान भी तैयार कर रहे हैं। कहा जा रहा कि आगे चलकर पाकिस्तान और चीन साथ में ड्रोन का निर्माण भी करेंगे। विंग लूंग-2 ने अपनी पहली उड़ान पिछले साल फरवरी में भरी थी। मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार चीन ने पहले ही उड़ान के दौरान ड्रोन को बेचने का बड़ा करार कर लिया था लेकिन उस वक्त खरीददार का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया था।
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