यात्रियों की मौत के लिए उनके परिजनों ने मलेशिया की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है.
ऐसे ही एक परिजन का कहना है, ''आठ मार्च को विमान के लापता होने के बाद से ही, मलेशिया की सरकार और उसकी फ़ौज, यात्रियों के परिजनों और सारी दुनिया से सच छिपाती रही. मलेशिया ने ऐसा हमें मूर्ख बनाने के इरादे से किया. मलेशिया ने राहत और बचाव कार्य में भी देरी की. समय और संसाधन दोनों बर्बाद किए.''
चीनी नागरिकों के परिजन मलेशिया की सरकार पर सवाल दाग़ रहे हैं और उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न भी लगा रहे हैं.
उनका कहना है, ''वो कहते हैं कि विमान दक्षिणी हिंद महासागर में गिरा होगा. लेकिन उन्हें अभी तक विमान नहीं मिला है. वो जो कुछ कह रहे हैं, आख़िर किस आधार पर कह रहे हैं. मलेशिया की सरकार दस दिनों से इसी तरह बर्ताव कर रही है. हमें उनकी कही बातों पर भरोसा नहीं है.''
'किसी के जीवित होने की संभावना नहीं'
इससे पहले, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रज़ाक ने, उपग्रह से मिली सूचना के विश्लेषण का हवाला देकर कहा, कि लापता विमान का सफ़र हिंद महासागर में ख़त्म हो गया और विमान में सवार किसी व्यक्ति के जीवित होने की संभावना नहीं है.
यात्रियों के परिजनों को ढ़ांढस बंधाते हुए उन्होंने कहा, ''उपग्रह सेवा इनमारसेट और ब्रिटेन की जांच करने वाली संस्था के नये विश्लेषण के आधार पर, ये नतीजा निकाला गया है कि एमएच 370 विमान दक्षिणी गलियारे में उड़ रहा था और इसकी आख़िरी स्थिति पर्थ से पश्चिम में हिंद महासागर के मध्य में थी. विमान उतरने की किसी संभावित जगह से ये बहुत दूर-दराज़ का इलाक़ा है. मैं बहुत दुख और खेद के साथ आपको सूचित कर रहा हूं कि इस विमान का सफ़र दक्षिणी हिंद महासागर में जाकर ख़त्म हो गया.''
मलेशिया के प्रधानमंत्री की इस घोषणा के साथ ही, विमान में सवार लोगों के उन तमाम परिजनों पर दुख का मानो पहाड़ टूट गया, जिन्होंने तीन हफ्तों से उम्मीदों का दामन थाम रखा था.
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें लगता है कि उम्मीद अभी भी क़ायम है. कैप्टन विमल शर्मा की बहन चंद्रिका भी इस विमान में सवार थीं.
विमल शर्मा का कहना है, ''ये बेहद दुख का क्षण है. मैं वाक़ई ये मान लेना चाहता हूं कि विमान का अपहरण हुआ होगा...मुझे पूरा भरोसा है कि तलाश जारी रहेगी. जो कुछ कहा गया है, उसे साबित करने के लिए कुछ ठोस प्रमाण भी होना चाहिए. अभी तो कुछ मलबा भी नहीं मिला है.''
मलेशिया एयरलाइंस के लापता हुए विमान ने आठ मार्च को कुआलालम्पुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी. उड़ान भरने के घंटे भर बाद ही ये विमान रडार से ग़ायब हो गया था.
कई देशों के विमान और जहाज़ दक्षिण हिंद महासागर में इसकी तलाश कर रहे हैं. समुद्र में ऐसा बहुत कुछ नज़र आया है जिसे मलबा बताया जा है लेकिन अभी तक ऐसा एक भी प्रमाण नहीं मिला है जिसके आधार पर पुख़्ता तौर पर कहा जा सके कि ये मलबा, लापता विमान का ही है.
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