चीन की राजधानी बीजिंग में रहने वाली लियांग जिनफ़ैंग जब अपने साल भर के बेटे के लिए खाने-पीने की वस्तुएं ख़रीदती हैं, तो वो सभी विदेशी ब्रांड की होती हैं.

ये चीज़ें चीन के बाज़ार में सस्ते दामों पर उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन फिर भी लियांग जिनफ़ैंग को लगता है कि उनके पास कोई चारा नहीं है.

खासकर साल 2008 में खाद्य पदार्थों में मिलावट के कई मामले सामने आने के बाद आम लोग अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं.

लियांग कहती हैं, "सरकार ने भोजन घोटाले से निबटने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया है."

महंगा तरीक़ा

चीन में लोग नहीं खा रहे देश में बनी चीज़ें

साल 2008 में दूषित मिल्क पाउडर पीने से छह शिशुओं की मौत हो गई थी और तक़रीबन तीन लाख बच्चों में गुर्दे की पथरी की शिकायत पाई गई थी.

पाउडर में मेलामाइन नाम का रसायन मिलाया गया था जिससे ये ज़ाहिर होता था कि दूध में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज़्यादा है. ये सामान चीन की कई बड़ी डेयरियों ने बेची थीं.

चीन के नेताओं ने वादा किया था कि वो इस समस्या से निपटेंगे. लेकिन बाज़ार में चावल से लेकर चॉकलेट तक शायद ही खाने-पीने की कोई चीज़ बची हो जिसमें इस तरह के घोटाले की बात सामने नहीं आई है.

इस साल चीन में 900 ऐसे लोगों की गिरफ़्तारियां हुई हैं जो 'कृत्रिम' गोश्त बेच रहे थे, इसमें चूहे का मांस भी शामिल है जिसे बकरे के गोश्त के तौर पर बेचा जा रहा था.

लियांग जिनफ़ैंग जैसे कुछ लोगों ने इनसे निबटने के लिए विदेशी वस्तुएं ख़रीदनी शुरू कर दी हैं.

बाज़ार में स्मार्टफ़ोन के ऐप्लीकेशन्स आ गए हैं जो खाने-पीने की चीज़ों से जुड़ी ख़बरें हर दिन लोगों तक पहुंचाते रहते हैं.

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