लेकिन साथ ही साथ यह शहर तक़रीबन दस लाख ईसाइयों का घर भी है. जिनमें से कई निजी उद्यमियों ने वानज़ाउ को मछली पकड़ने के बंदरगाह से वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बना दिया है.

यहां के लोग बाज़ार में प्रतिस्पर्धा देने के मामले में जितने माहिर है उसी उत्साह के साथ वे बड़े और बेहतर चर्च भी बनाते हैं.

यह उत्साह ही उनको सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ संघर्ष की स्थिति में ला खड़ा करता है.

जहाँ चीन के अधिकतर शहरों में प्रमुख इमारतें कम्युनिस्ट पार्टी की है वहीं वानज़ाउ में चर्च लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं. शहर में लाल रंग के क्रॉस लगे बड़े गुंबदों वाले कई बड़े गिरजाघर हैं.

इस शृंखला में नई कड़ी के रूप में जुड़ने वाले सानजियांग चर्च को पुलिस ने पिछले हफ़्ते गिरा दिया.

मार्च में अचानक सरकार ने घोषणा की कि यह चर्च इमारत निर्माण के नियमों का उल्लंघन करता है.

टकराव

चर्च के नेताओं ने आख़िरी वक़्त में सरकार से बात करने की कोशिश की लेकिन साफ़ है कि सरकार ने वानज़ाउ के ईसाइयों को संदेश देने का मन बना लिया था.

चीन: 'झुक गया' चर्च का शहर

पिछले सोमवार को पुलिस ने इस क्षेत्र को घेर लिया और चर्च की इमारत पर बुलडोज़र चला दिया.

रविवार को जब सैकड़ों भक्त प्रार्थना के लिए पहुँचे तो वो सदमे में थे. जिनमें से दर्जन भर लोग हिरासत में हैं और बाक़ी लोग कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है.

एक अवाक बुज़ुर्ग की आँखों से सिर्फ आँसू बह रहे हैं. वे अभी तक कुछ समझ नहीं पा रहे हैं. उनका कहना है अभी हाल तक ही उनके सरकार से अच्छे रिश्ते रहे हैं. 12 सालों में कभी भी

इस पर आपत्ति नहीं जताई.

'संपर्क की कमी'

कुछ सरकारी अधिकारियों ने तो धर्म प्रचार को लेकर यह देखते हुए उत्साह भी बढ़ाया था कि वानज़ाउ के ईसाई अच्छे नागरिक है क्योंकि वे क़ानून का पालन करते हैं और समय पर टैक्स देते हैं.

यहाँ के लोग मानते हैं कि इस घटना के लिए मुख्य जिम्मेदार स्थानीय सरकार और प्रांतीय सरकार के बीच संपर्क की कमी है.

उनका कहना है कि हाल ही में प्रांतीय सरकार के अधिकारी क्षेत्र के दौरे पर आए थे. उन्हें यहाँ ईसाई क्रॉस प्रमुखता से देखने को मिला.

निश्चित तौर पर पार्टी का धर्मिक आस्था के साथ लंबा टकराव रहा है. जबकि संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. पार्टी ईसाइयत को पश्चिमी सम्राज्यवाद के औज़ार के रूप में देखती रही है.

मैंने पूरा रविवार वानज़ाउ के तीन चर्चों में बिताया और वहां भी ऐसी ही कहानियां सुनने को मिलीं. कोई आम राय बनाना आसान नहीं है लेकिन चीन का चर्चों का शहर घुटनों पर आ गया है.

International News inextlive from World News Desk