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RANCHI : रांची सीडब्ल्यूसी बच्चा खरीद-बिक्री का मामला पहले से ही चला आ रहा है। रांची सीडब्ल्यूसी में 2007 से लेकर 2010 तक पदस्थापित चेयरमैन और मेंबर ने 30 से अधिक बच्चों को बेच डाला है। चूंकि, उस वक्त जेजे एक्ट लागू नहीं था और सीडब्ल्यूसी का मिशनरीज ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय के साथ सांठगांठ था। इसी दौरान उन बच्चों की खरीद-बिक्री की गई थी।

सीडब्ल्यूसी मेंबरों ने बेचे बच्चे
जानकारी के मुताबिक, बच्चा बेचे जाने का मामला वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक काफी तेज रहा। इस दौरान सीडब्ल्यूसी में कार्यरत मेंबरों ने 20 हजार, 30 हजार रुपए में बच्चों को बेचा था। उस वक्त सीडब्ल्यूसी बड़ा तालाब के पास स्थित आंचल शिशु आश्रम में चलता था।

बच्चों से संबंधित रिकॉर्ड गायब
उस समय के बच्चों से संबंधित रिकॉर्ड भी गायब कर दिया है। सीडब्ल्यूसी में तीन साल का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। उस वक्त सीडब्ल्यूसी में काम करनेवाले एक मेंबर द्वारा चेयरपर्सन और मेंबर का हुबहू सिग्नेचर कर दिया जाता था। उक्त मेंबर की जालसाजी को एक महिला मेंबर ने भी पकड़ा था और उसे चप्पल से पीटने की बात कही थी।

बाल सुधार गृह चास पहुंची आयोग की टीम
बोकारो में परिसदन में कुछ देर रुकने के बाद आयोग की अध्यक्ष बाल सुधार गृह चास पहुंची। लगभग दो घंटे से ज्यादा गृह का निरीक्षण और अंदर14 बाल बंदी से व्यवस्था की जानकारी ली। बाल बंदी से खानपान के साथ अन्य सुविधाओं की जानकारी ली। इसके साथ ही गृह के अंदर बैठक कर वहां पर रहने वाले अधीक्षक व कर्मचारियों को कई निर्देश भी दिए। इस दौरान आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर बच्चों से मिलने आए परिजनों के लिए बनी जगहों को देखकर आपत्ति जताई और कहा कि ऐसी व्यवस्था नहीं रहनी चाहिए। इसके बाद बगल में ही स्थित बाल गृह सह विशेष दत्तक ग्रहण सुविधा सहयोग विलेज का निरीक्षण किया। यहां पर रहने वाले अनाथ बच्चों से मिली। बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार की खबर आने के बाद झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग काफी गंभीर है और इसको लेकर राज्य की सभी जगहों पर रहने वाले बच्चों के स्थानों की जांच कर रहा है।


बच्चा बिक्री जांच का विषय
सीडŽल्यूसी के एक मेंबर ने धनबाद के एक ब्लाइंड दंपती को बच्चा बेच डाला था। Žलाइंड दंपती उस बच्चे को लेकर धनबाद चला गया था। अभी वह बच्चा किस स्थिति में है। यह जांच का विषय है। इसके बाद ही पूरा मामला खुलकर सामने आएगा।

उस वक्त के रिकॉर्ड को खंगाला जाएगा। वहां से किन-किन बच्चों को किसके पास दिया गया है।
इसकी भी जांच की जाएगी।

आरती कुजूर, अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग

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