कीमोथेरेपी की मदद से शरीर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर को खत्म किया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में शरीर के दूसरे हिस्से काफी प्रभावित होते हैं और इसका खासा नुकसान भी उठाना पड़ता है.
ब्रिटेन में पहली बार लीवर कैंसर से पीड़ित रोगी को कीमो-बाथ के जरिए ठीक करने का दावा किया गया है.
इससे जुड़े डाक्टर मानते हैं कि 'कीमोथेरेपी' की तुलना में कीमो-बाथ काफी बेहतर है.
‘साउथैंप्टन जनरल हॉस्पिटल’ के चिकित्सक कीमो-बाथ को लेकर काफी संजीदा हैं उनका मानना है कि अगर शरीर के सिर्फ एक अंग पर ही दवाओं का इस्तेमाल हो तो इससे शरीर के दूसरे हिस्से पर पड़ने वाले गलत प्रभाव से मरीज़ को निजात मिल सकता है.
यहां तक कि डॉक्टर ये भी मानते हैं कि जब सिर्फ एक अंग का सीधे तौर पर इलाज किया जाएगा तो दवाओं की अत्यधिक मात्रा भी प्रयोग करने में दिक्कत नहीं आएगी.
दूसरे अंग नहीं होंगे प्रभावित
आमतौर पर 'कीमोथेरेपी' में दवाई सुई के जरिए नसों में डाली जाती है, जो सीधे 'ट्यूमर' को प्रभावित करने की बजाए पूरे शरीर में जाता है.
इसका असर ये होता है कि कैंसर पीड़ित हमेशा बीमार और थका हुआ महसूस करते हैं, बाल झड़ने लगते हैं यहां तक कि इससे बांझपन का भी ख़तरा बढ़ जाता है.
हाल ही में ब्रिटेन में दो कैंसर पीड़ितों की 'कीमोथेरेपी' की गई और उसमें इस बात का खास ध्यान रखा गया कि सिर्फ (प्रभावित हिस्से) लीवर को ही केंद्र में रखा जाए क्योंकि दोनों लीवर कैंसर से पीड़ित थे.
दरअसल, इन दोनों रोगियों को आंखों का भयानक कैंसर था जो लीवर तक जा पहुंचा था.
थेरेपी से जुडे डॉक्टर ब्रिआन स्टेडमैन कहते हैं, “60 मिनट तक शरीर के एक किसी हिस्से को काटना, फिर उसे दवाईयों में भिगोकर रखना और फिर दोबारा फिट करने से पहले उसमें प्रवाहित खून को पूरी तरह से स्वच्छ करना अभूतपूर्व था.”
सर्जरी तीन महीने पहले की गई है और कहा जा रहा है कि दोनों रोगी ठीक हैं और ट्यूमर का आकार भी काफी छोटा हो गया है.
डॉक्टर कहते हैं, शरीर का कोई भी हिस्सा जिसे ‘ब्लड सप्लाई’ से आसानी से अलग किया जा सकता है जैसे किडनी, पैनक्रियाज और लंग्स उसके लिए ये काफी अच्छा है.
हालांकि डॉक्टर ये मान रहे हैं कि इस दिशा में ये शुरुआत मात्र है और साथ ही ये भी कि इसपर आगे भी काम करने की जरूरत पड़ सकती है.
वैसे इस तकनीक पर यूरोप के दूसरे हिस्सों में भी काम चल रहा है साथ ही अमरीका में भी कुछ प्रयोग होने की बात सामने आई है.