लेकिन यह काम आसान नहीं रहा, क्योंकि इक्वाडोर में कई ऐसी जगहें हैं जो उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के ठीक बीच में होने का दावा करती हैं.
भूमध्य रेखा की तलाश में मैं चार अलग-अलग जगहों पर गया.
और इस दौरान मुझे कई और दावेदारों के बारे में पता चला.
कई किमी चौड़ी रेखा
सबसे पहले मैं राजधानी क्विटो से 16 किलोमीटर दूर एक विशाल स्मारक, मिडिल ऑफ़ द वर्ल्ड (धरती का मध्य), पर पहुंचा जहां हर साल क़रीब 1,30,000 पर्यटक आते हैं.
यह लोग ज़मीन पर खिंची एक मोटी पीली रेखा के साथ तस्वीर भी खिंचवाते हैं.
मेरे गाइड ने मुझे विस्तार से 18वीं सदी के फ्रांसीसी खगोलविदों के काम के बारे में बताया.
इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या यह पीली रेखा भूमध्यरेखा है?
उसने कहा, "नहीं, दरअसल यह यहां से 240 मीटर उत्तर में है. जब फ्रांसीसी खगोलविदों का कहना था कि भूमध्यरेखा यहीं है इसलिए यहां यह स्मारक बना."
"तब हमारे पास वह तकनीक नहीं थी जो आज है. वैसे स्थानीय लोग हमेशा कहते थे कि भूमध्य रेखा कहीं और है, और अब यह साबित हो गया है."
फ्रांसीसी खगोलविद् 1736 में धरती के मध्य में लंबे वृत्त को मापने के अभियान का हिस्सा थे.
उनका भूमध्यरेखा का अनुमान कई दूसरे अनुमानों में से एक है.
मिडिल ऑफ़ द वर्ल्ड की मुख्य गाइड, राक्वेल अल्दाज़, कहती हैं कि विरोधाभासी स्थान एक पुरानी बहस का हिस्सा हैं.
वह कहती हैं, "मुझे लगता है कि हमें कुछ मिलीमीटर की रेखा के बार में बात नहीं करनी चाहिए. यह बहुत, चौड़ी है."
बहरहाल पर्यटकों की भूमध्य रेखा से 240 मीटर की दूरी पर असली भूमध्यरेखा की तलाश में मैं कैलाकली क़स्बे गया.
वहां एक वर्ग में भित्ति चित्रों से ढंका एक दस मीटर का ढांचा था. इसे 1936 में एक स्थानीय कलाकार ने क्षेत्र में फ्रांसीसी अभियान की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बनाया था.
लेकिन इक्वाडोर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में मानवविज्ञानी होलग्वएर जारा कहते हैं, "धरती के मध्य से गुज़रने वाली रेखा एक काल्पनिक चीज़ है. या फिर जैसा कि बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं यह क़रीब पांच किमी चौड़ी होगी."
प्राचीन ज्ञान
जारा कहते हैं कि एक और जगह है जहां पृथ्वी का मध्यबिंदु चिन्हित किया गया है- एक रेखा के रूप में नहीं बल्कि एक गेंद के रूप में.
वह कहते हैं, "वहां लोग भूमध्यरेखा को एक रेखा के रूप में नहीं बल्कि एक ऐसे बिंदु के रूप में देखते हैं जहां पृथ्वी उत्तर और दक्षिण के बीच घूमती है."
यह जगह, कयाम्बे, राजधानी क्विटो से क़रीब 80 किलोमीटर दूर है और वहां इक्वेडोर का तीसरा सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है.
जैसी की उम्मीद की जा सकती है कयाम्बे में भी, फ़ोटो खिंचवाने के शौक़ीन पर्यटको के लिए, एक स्मारक है.
कयाम्बे में पुरातत्व और खगोल का अध्ययन कर रहे क्रिस्टोबाल कोबो चौड़ी भूमध्य रेखा के विचार से असहमत हैं.
वह कहते हैं, "प्राचीन, स्वदेशी खगोलीय शोध को वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक रूप से कमतर करके आंका है."
वह कहते हैं कि सदियों पुराना एक खगोलीय स्थल उस ज्ञान का सुबूत है.
वह मुझे कयाम्बे और क्विटो के बीच एक जगह कैटेक्विला ले गए जहां उन्होंने मुझे इंका काल का एक प्राचीन ढांचा दिखाया, जो उनके अनुसार भूमध्य रेखा का सटीक स्थान है.
भित्तिचित्र वाले इसके अवशेषों को मोटरसाइकिल के टायरों के निशान बर्बाद कर रहे हैं.
एक और दावा
हालांकि वह कहते हैं कि वह नहीं मानते कि प्राचीन इंका सभ्यता की भूमध्य रेखा को ढूंढने में बहुत ज़्यादा रुचि थी. अन्य लोग इससे सहमत हैं.
सैन फ्रांसिस्को की इक्वेडोरियन यूनिवर्सिटी के फ़्लोरेन्सियो डेलगाडो कहते हैं, "इन सभ्यताओं का दुनिया को देखने का नज़रिया हमारे नज़रिए से भिन्न था."
ऐसे अलग विचार और व्याख्याएं आज भी मौजूद हैं.
21वीं सदी के नागरिक के रूप में अत्याधुनिक तकनीकों वाले समय में भी मैं सही जगह को ढूंढने में नाकाम रहा.
जितना ज़्यादा मैंने कोशिश की, जितना ज़्यादा विशेषज्ञों से बात की, धरती का मध्यबिंदु होने वाली उतनी ही ज़्यादा जगहें सामने आती रहीं.
डेलगाडो ने मुझे सैकड़ों किलोमीटर दूर, इक्वाडोर के तट पर एक क़स्बे पेडेरनेल्स के बारे में बताया. वहां लोगों ने एक स्थान को चिन्हित कर रखा है जहां से काल्पनिक भूमध्य रेखा धरती छोड़ पानी में उतरती है.
लेकिन मुझे लगा कि जितना मैंने देख लिया है अभी उतना ही काफ़ी है.
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