भगवान विष्णु जो समस्त लोकों के पालनहार हैं, जिनके भक्त वैष्णव कहलाते हैं। वे अपने आराध्य को कहीं जगन्नाथ भगवान के रूप में, तो कहीं कृष्ण के रूप में, तो कहीं पद्मनाभ स्वामी के रूप में और कहीं रंगनाथ स्वामी के रूप में पूजते हैं। इन सभी देवताओं का आधार लक्ष्मी पति विष्णु ही हैं।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अगर आप नीचे दिए गए मंत्रों का जाप हर बृहस्पतिवार को करते हैं तो अवश्य ही लाभ होगा।
1. भगवान विष्णु को समर्प्रित मुख्य मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।
2. विष्णु गायत्री महामंत्र
ऊँ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
4. निचे लिखा मंत्र भगवान विष्णु की महानता का परिचायक है। रोज मंत्र का जप सही विधि और नियम से करना चाहिए।
विष्णु रूपं पूजन मंत्र
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
मंत्र का अर्थ: जिस हरि का रूप अति शांतिमय है, जो शेष नाग की शय्या पर शयन करते हैं। इनकी नाभि से जो कमल निकल रहा है वो समस्त जगत का आधार है। जो गगन के समान हर जगह व्याप्त हैं, जो नीले बादलों के रंग के समान रंग वाले हैं। जो योगियों द्वारा ध्यान करने पर मिल जाते हैं, जो समस्त जगत के स्वामी हैं, जो भय का नाश करने वाले हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी के पति हैं, इस प्रभु हरि को मैं शीश झुकाकर प्रणाम करता हूं।
ऐसे करें के मंत्रों का जाप
1. स्नान के बाद घर के देवालय में पीले या केसरिया वस्त्र पहनकर श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल स्नान के बाद केसर चंदन, सुगंधित फूल, तुलसी की माला, पीताम्बरी वस्त्र कलेवा, फल चढ़ाकर पूजा करें। भगवान विष्णु को केसरिया भात, खीर या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं।
2. धूप व दीप जलाकर पीले आसन पर बैठ तुलसी की माला से नीचे लिखे विष्णु गायत्री मंत्र की 1, 3, 5, 11 माला का पाठ यश, प्रतिष्ठा व उन्नति की कामना से करें –
ऊँ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. पूजा व मंत्र जप के बाद भगवान विष्णु को धूप, दीप व कर्पूर से आरती करें। फिर देव स्नान कराया जल यानी चरणामृत व प्रसाद ग्रहण करें।
-ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी
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