कानपुर। कानपुर। Chandra Grahan 2020 Date Timings in India : नए साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लग रहा है। इसकी अवधि लगभग चार घंटे की होगी। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं, आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण व खंडच्छायायुक्त या उप छाया चंद्र ग्रहण। इस बार जो ग्रहण लग रहा है वह उप छाया ग्रहण होगा जो बाकी दो की तुलना में कमजोर होता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार (Types of Lunar Eclipse)
जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य के बीच आ जाती है और चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता, वह पृथ्वी की छाया से पूरा ढक जाता है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। जब पृथ्वी सूर्य व चंद्रमा के बीच में न आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर नहीं पड़ती है बल्कि उपछाया होती है।
Chandra Grahan 2020 Date Timings in India
भारतीय समयानुसार खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को रात्रि 10.36 मिनट पर शुरू होगा। इसका मध्यकाल को रात्रि 12.40 बजे होगा व पूर्ण 2.44 बजे होगा। इस खगोलीय घटना की कुल अवधि 4 घंटे से कुछ अधिक होगी।
साल में इस-इस दिन होने वाला है चंद्र ग्रहण
फिलहाल आपको गवर्मेंट सािट के हवाले से बताते हैं साल में पड़ने वाले अन्य ग्रहण के बारे में। इस साल जहां पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी से 11 जनवरी को होने वाला है। वहीं दूसरा 5 जून से 6 जून तक रहेगा। इसके बाद तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई से 6 जुलाई तक रहेगा। फिर चौथा चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को होगा। इनमें से कोई भी पूर्ण या आंशिक चंद्रग्रहण नहीं होगा। खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण होने के कारण इसका सूतक मान्य नहीं होगा, इसकी गिनती चंद्र ग्रहण में नहीं होती है क्योंकि ऐसे ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की असल छाया से नहीं ढका होता है।
भारत में कहां दिखेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण
वर्ष 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 11 जनवरी को पूरे भारत में देखा जा सकेगा। इसे कानपुर, लखनऊ, नोएडा, दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में देखा जा सकेगा। इसके अलावा शेष एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया व अफ्रीका में रहने वाले लोग भी इस अद्भुत खगोलीय घटना के साक्षी बन सकेंगे। इस वर्ष 10 जनवरी के अलावा तीन अन्य खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण पड़ेंगे। दो सूर्य ग्रहण भी होंगे एक आंशिक व एक पूर्ण।
पौष पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण
साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण पौष मास की पूर्णिमा के दिन हो रहा है, इसी दिन माघ मास की भी शुरुआत होती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में पौष मास की पूर्णिमा व माघ माह में स्नान व दान का विशेष महत्व है। किया जाता है। इस वर्ष पौष पूर्णिमा 10 जनवरी को है।
चंद्र ग्रहण की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवों और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से अमृत निकला जिसे पीने को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ, इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत कलश अपने हाथों में ले लिया। उन्होंने देवों व असुरों को दो अलग पंक्तियों में बैठकार अमृत का वितरण शुरू किया। इस बीच राहु नामक असुर छल से देवताओं के बीच आकर बैठ गया व अमृत पी लिया। इसकी जानकारी मिलते ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पी लेने के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई, उसके सिर वाला भाग राहु व धड़ वाला भाग केतु कहलाया। कथा के अनुसार भगवान विष्णु को उसके बारे में सूर्य व चंद्रमा ने बताया था इसीलिए वह इन दोनों को अपना शत्रु मानता है व इसीलिए सूर्यग्रहण व चंद्र ग्रहण होता है।
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