कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Chaitra Navratri 2021 Vrat Parna Time and Date चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि में बड़ी संख्या में लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग पहले और आखिरी नवरात्रि को व्रत रखते हैं। नवरात्रि में व्रत रखने के साथ-साथ उसका पारण भी विधिवत करने का महत्व है। ज्योतिषाचार्य डाॅक्टर त्रिलोकीनाथ के मुताबिक जो लोग नौ दिन व्रत रखते हैं वो लोग दशमी को पारायण करेंगे और जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखते हैं वो लोग नवमी को पारण करेंगे। वहीं दृक पंचांग के मुताबिक हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में इसके बारे में मुख्यत दो प्रकार के विचारों को प्रतिपादित किया गया है। पहले मत के अनुसार नवरात्रि पारण के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही उत्तम माना गया है। दूसरा मत नवरात्रि पारण के लिए दशमी तिथि को उपयुक्त बताता है।
महा अष्टमी या महा नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन
उत्तर भारतीय परिवारों में, घर के सदस्य, विशेषतः महिला सदस्य, कन्या पूजा के उपरांत अष्टमी या नवमी तिथि पर अपना व्रत छोड़ देते हैं। परंपरागत तौर पर, कन्या पूजा जिसे कुमारी पूजा भी कहा जाता है। महा अष्टमी या महा नवमी तिथि के दिन की जाती है। जिन वर्षों में महा अष्टमी पूजा और महा नवमी पूजा एक ही दिन होती हैं तब व्रत अष्टमी तिथि को कन्या पूजा के बाद तोड़ा जाता है। व्रत तोड़ने की इस परम्परा का पालन करने के लिए मुहूर्त या समय देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसमें कन्या पूजन के बाद, महा अष्टमी या महा नवमी तिथि के दिन स्वतः ही व्रत को तोड़ा जा सकता है।
हवन व नवमी तिथि दोनों की समाप्ति के बाद तोड़ा जाता
कई परिवार नवरात्रि के दौरान नवमी को विधिवत होम या हवन करते हैं। हवन करने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दिन का समय माना जाता है जब नवमी तिथि व्यापत (चल रही) हो। होम-हवन से सम्बंधित उपरोक्त सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए नवरात्रि का व्रत, हवन व नवमी तिथि दोनों की समाप्ति के बाद तोड़ा जाता है। नवरात्रि पारण की यह विधि सुनिश्चित करती है कि यदि नवमी सूर्यास्त के पहले समाप्त न हो रही हो तो व्रत पूरे नौ दिन व नौ रात के लिए रखा जाए। नवरात्रि पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी तिथि की समाप्ति के बाद जब दशमी तिथि प्रचलित हो को माना गया है।