Chaitra Navratri 2020 : इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त विधि- विधान से पूजा करें। कलश स्थापना शुभ मुहूर्त पर करनी चाहिए। इसके साथ ही हर दिन मां दुर्गा के अलग- अलग रुपों की पूजा की जाएगी। देवी का कौन सा रुप किस राशि के लिए सबसे ज्यादा शुभ व फलदायी है। यहां जानें व विधि- विधान से पूजन कर देवी को प्रसन्न करें।
मेष: मेष राशि के जातक नवदुर्गा क्रम में शैलपुत्री की उपासना करें एवं प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
वृष: यह जातक नवदुर्गा क्रम में ब्रह्मचारिणी की उपासना करें तथा प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
मिथुन: यह जातक नवदुर्गा क्रम में चन्द्रघंटा की उपासना करें तथा प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कर्क: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्दिदात्री की उपासना करें एवं प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
सिंह: यह जातक नवदुर्गा क्रम में कालरात्रि की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कन्या: यह जातक नवदुर्गा क्रम में चन्द्रघंटा की उपासना के साथ प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
तुला: यह जातक नवदुर्गा क्रम में ब्रह्मचारिणी की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
वृश्चिक: यह जातक नवदुर्गा क्रम में शैलपुत्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
धनु: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
मकर: यह जातक सिद्धदात्री की उपासना के साथ काली की उपासना करना भी अति लाभदायक रहेगा।यह जातक प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कुम्भ: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री एवं काली की उपासना करें एवं नवमीं तिथि का व्रत करें।
मीन: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की नवमी तिथि का व्रत करें।
किस दिन मां दुर्गा के किस रूप की होगी पूजा
नवदुर्गा के क्रम में प्रथम माता शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघण्टा, चतुर्थ मां कुष्माण्डा, पंचम स्कंद माता, षष्टम कात्यायनी माता, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम माता महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री के दर्शन व पूजन करने का विधान है। वहीं घटस्थापना सुबह 6:8 बजे से लेकर 10:8 बजे तक घठस्थापना की जा सकती है।
- ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा