नई दिल्ली (पीटीआई)। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 परसेंट आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगा दी है। यह आरक्षण जनरल कोटा वालों को 'आर्थिक आधार' पर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरक्षण का फायदा उन लोगों को मिल सकता है, जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपए से कम है और जिनके पास पांच एकड़ तक जमीन है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद इस बात की जानकारी दी। इस संबंध में मंगलवार को सरकार संविधान संशोधन बिल संसद में पेश कर सकती है।
आरक्षण की सीमा कितनी होगी
फिलहाल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग 50 प्रतिशत आरक्षण में भागीदार हैं। यह 10 परसेंट आरक्षण मौजूदा 50 परसेंट कोटे से अलग होगा। सरकार द्वारा आरक्षण का कोटा मौजूदा 50 परसेंट से बढ़ाकर 60 परसेंट कर दिया जाएगा। 10 परसेंट कोटा का लाभ सवर्णों में उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर होंगे।
संविधान क्या कहता है
एक बड़े सरकारी अधिकारी ने बताया कि सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत मंगलवार को संसद में आरक्षण के इस बिल को पेश कर सकते हैं। ऐसा पहली बार होगा जब सरकार जाति और धर्म के आधार पर नहीं आर्थिक आधार पर संसद में आरक्षण का बिल पेश करेगी। संविधान में आर्थिक रूप रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए सरकार को आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता होगी और इसके लिए संसद के दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरुरी होगा तभी यह एक कानून बन पायेगा। संसोधन के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में भी बदलाव किया जाएगा। दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
साल 1992 में इंद्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यों वाली संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया था कि आरक्षण किसी भी हाल में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। सरकारी सूत्रों ने कहना है कि संविधान में संशोधन करके ही अतिरिक्त कोटा का लाभ गरीब सवर्णों को दिया जा सकता है।
पात्रता शर्तें
* 8 लाख से कम सालाना इनकम हो।
* 5 एकड़ से कम की खेती की जमीन हो।
* 1000 वर्ग फीट से कम का घर हो।
* 100 गज से कम नगर निगम अधिसूचित जमीन हो।
* 200 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो।मराठाओं को आरक्षण देकर महाराष्ट्र 68 फीसदी रिजर्वेशन देने वाला दूसरा राज्य बना
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