शांतिनिकेतन से चोरी हुआ पदक
गुरुदेव के नाम से मशहूर कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर को काव्यरचना गीतांजलि के लिये सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। ये पदक उनके बीरभूम के शांतिनिकेतन में रखा था। साल 2004 में पदक की चोरी का मामला सामने आया। तब केंद्रीय जांच ब्युरो और और पश्चिम बंगाल की अपराध जांच विभाग ने तुरंत जांच शुरू कर दी। इसके बाद 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने पत्र लिख कर केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय से जांच से जुड़े तथ्यों को साझा करने का अनुरोध किया था।
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ठनी केंद्र और राज्य सरकार के बीच में
अब लगता है कि गुरुदेव के नोबेल पदक चोरी जांच को लेकर पश्चिम बंगाल व केंद्र सरकार में ठन गई है। राज्य सरकार ने पत्र लिखकर जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ से लेकर सीआइडी को सौंपने की मांग की थी। राज्य सरकार ने कहा था कि जांच के दौरान सीबीआइ के हाथ लगे सारे तथ्य भी सीआइडी को दिए जाएं ताकि जल्द से जल्द नोबेल पदक को बरामद किया जा सके। अब इस बारे में केंद्र ने वापस पत्र लिखकर साफ किया है कि सीबीआइ मामले की जांच राज्य को नहीं देना चाहती है। अपने पत्र में राज्य ने मांग की थी कि चोरी गए नोबेल पदक के मामले में सीबीआइ जांच की सारी जिम्मेदारी राज्य सीआइडी के हवाले कर दी जाए। उस समय केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी। दो महीने पहले एक बार फिर राज्य सरकार ने एक और रिमाइंडर केंद्र को भेजा जिसमें उसी मांग को दोहराया गया। इसी रिमांइडर के जवाब में केंद्र ने जवाब देते हुए लिखा है कि नोबेल पदक चोरी की जांच राज्य सीआइडी के हवाले नहीं की जा सकती है।
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