ये चारों बच्चे डेनवर स्थित एक बेहद गंदे घर में मिले थे. इन बच्चों के चारों तरफ़ बिल्ली का मल फैला हुआ था और उन पर मक्खियाँ भिन-भिना रही थीं.
सभी बच्चे कुपोषण के शिकार थे और साफ़ आवाज़ में बोल भी नहीं पा रहे थे.
इस दंपति ने अदालत में हुई पहली पेशी के दौरान अपना पक्ष नहीं रखा है.
इस दंपति पर बच्चों के शोषण के आपराधिक कृत्य के कई मामले हैं.
दो, चार, पाँच और छह वर्षीय इन बच्चों की जाँच करने वाले एक डॉक्टर के अनुसार इन बच्चों को टॉयलेट का प्रयोग करना नहीं सिखाया गया था और उनके बोलने की क्षमता भी पूरी तरह से विकसित नहीं थीं.
घर की जाँच
"इन बच्चों की अपनी ही एक भाषा है, वो आपस में घों-घों करके बात करते हैं लेकिन ये बच्चे उनसे और बेयली से बोल लेते हैं"
-वेयनी स्पर्लिंग, बच्चों के पिता
अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार इस मामले को लेकर पुलिस उस वक़्त सतर्क हुई जब बेली अपने दो वर्षीय बेटे के सिर में लगी चोट का इलाज करवाने के लिए अस्पताल गई थीं.
इस बच्चे की जाँच करने वाले डॉक्टर ने बच्चे के शरीर से आ रही सिगरेट की गंध, उसके कई दिन से न नहाए होने और ठीक से बोल न पाने पर ग़ौर किया और अधिकारियों को इसके बारे में सूचित किया.
डेनवर के सरकारी वकील ने बताया कि पुलिस जब इस दंपति के घर जाँच करने पहुँची तो उसे एक कमरे में बिस्तर के नीचे बिल्ली के मल मिले.
पुलिस को घर से बिल्ली के मल की तीव्र दुर्गंध, पेशाब की गंध और मरे हुए जानवरों की दुर्गंध आ रही थी. हालाँकि पुलिस को किसी भी जानवर का मृतक शरीर वहां नहीं मिला.
दंपति का बयान
"उन्हें नहीं लगता था कि उनका घर बच्चों के लिए असुरक्षित था."
लॉरिंडा बेयली, बच्चों की माँ
पुलिस के अनुसार स्पर्लिंग ने जाँचकर्ताओं को बताया कि वो बेरोज़गार हैं और इन बच्चों के प्राथमिक अभिभावक हैं और वो बड़े बेटे को घर पर ही शिक्षा दिलाने वाले थे.
पुलिस के हलफ़नामे के अनुसार, "स्पर्लिंग ने कहा कि बच्चों की अपनी ही एक भाषा है, वो आपस में बातें करते हैं लेकिन ये बच्चे उनसे और बेली से भी बोल लेते हैं."
बेली एक अलग घर में रहती थीं. बेली ने पुलिस से कहा कि उन्हें नहीं लगता था कि उनका घर बच्चों के लिए असुरक्षित था. उन्होंने इस दावे को नकार दिया कि इन बच्चों का विकास ठीक तरह से नहीं हो रहा है.
पुलिस ने बताया कि इससे पहले स्पर्लिंग और बेली दोनों ने 2009 में बच्चों के शोषण का अपराध स्वीकार किया था.
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