यूरोप में पॉल्यूशन लेवल काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसकी वजह वहां की लग्जुरियस लाइफस्टाल और सडक़ पर बढ़ती कारों की संख्या है. पॉल्यूशन से निपटने के लिए इन दिनों यहां पर एक खास उपाय आजमाया जा रहा है. इसके तहत यूरोपियन सिटीज में कार यूज से जुड़े रूल्स को काफी टफ किया जा रहा है. कोशिश यह है कि कार के यूज को इतना अधिक एक्सपेंसिव और दुखदायी बना दिया जाए कि कार ड्राइवर को कार लेकर निकलना किसी सिरदर्द से कम न लगे. थक हार के वो कार छोड़ पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरफ रुख कर ले.
Feeling neglected
ज्यूरिख में म्यूनिसिपल बोर्ड ने ट्रैफिक प्लानिंग को और तेज कर दिया है, जिसके लिए वह आजकल ओवरटाइम भी कर रहे हैं. शहर की सडक़ों पर रेड लाइट बढ़ा दी गई हैं, जो कार ड्राइवर्स के लिए मुसीबत बन गई हैं. इसके कारण उनके कामों में लेटलतीफी बढऩे लगी है.
ट्राम सिस्टम को बढ़ाने के लिए ट्राम ऑपरेटर्स को यह सुविधा दे दी गई है कि वो अपने फेवर में ट्रैफिक लाइट्स ऑपरेट कर सकते हैं. वे रेड लाइट ऑन कर खुद आगे निकल सकते हैं. इस वजह से कार से चलने वालों को असुविधा तो हो ही रही है साथ ही उनके अंदर नेग्लिजेंस की फीलिंग भी घर करने लगी है.
Stop and go experience
ज्यूरिख के बहुत ही बिजी स्क्वायर के कई ब्लॉक में तो कारों को बिल्कुल ही बैन कर दिया गया है. जहां कहीं उनकी प्रजेंस को एक्सेप्ट किया भी जा रहा है तो उनकी स्पीड को लिमिटेड कर दिया गया है. उनके ऊपर ऐसी बहुत सी पाबंदियां लगा दी गई हैं कि उनके लिए कार से चलना जी का जंजाल बन गया है. कार वालों से ज्यादा पैदल चलने वालों को प्रिफरेंस दी जा रही है. कार ड्राइवर्स को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि यदि वह किसी पैदल चलने वाले को रोड क्रॉस करते देखें तो अपनी कार की स्पीड को बिल्कुल ही कम कर दें या फिर गाड़ी को रोक उन्हें आगे बढऩे दें.
शहर के चीफ ट्रैफिक प्लानर बताते हैं कि जब वह खड़े हो कर यह देखते हैं कि साइकिल और पैदल चलने वालों के लिए कार को रुकना पड़ता है तो उनके चेहरे पर हंसी आ जाती है. वह बताते हैं कि ड्राइविंग वैसे भी रुकने और चलने का एक्सपीरियंस है और उन्हें लगता है कि अब कार ड्राइवर्स इसका असली मजा ले रहे होंगे.
क्या हैं कारण
यूरोप के शहरों ने इस दिशा में ज्यादा स्टेप्स उठाए हैं. यूरोप में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और देशों के मुकाबले ज्यादा अच्छा है. इसका एक कारण यह भी है कि यूरोप उस कमिटमेंट पर खरा नहीं उतरता जो क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत आता है. ग्लोबल रिसर्च मैनेजर माइकल कोड्रांस्की जोकि शहर से ट्रांसपोर्ट एमिशन कम करने के लिए काम कर रहे हैं, ने बताया कि पहले यूरोप भी अमेरिका के पदचिन्हों पर ही चल रहा था. जिसमें वहां के लोग अपने लिए खुद की कार खरीदने पर ज्यादा विश्वास करते थे. गवर्नमेंट के बदलते रुख के कारण पिछले एक दशक से लोगों की सोच में बदलाव आया है और वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरफ रुख कर रहे हैं.
WHO की गाइडलाइंस को भी करना है follow
यूरोपियन सिटीज का मानना है कि वे वर्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की गाइडलाइंस पर खरी नहीं उतरती हैं. जिसके कारण वह एयर पॉल्यूशन जैसी प्रॉब्लम को झेल रही हैं. इसको देखते हुए कारों का प्रचलन कम करने के लिए उन्हें यह स्टेप उठाना पड़ रहा है. कारों का चलन रोकने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की फैसिलिटी को बेटर करना यूरोपियन कंट्रीज का सबसे पहला और जरूरी काम है. जिसके लिए वह काम भी कर रही हैं.
Its better
इंश्योरेंस इंडस्ट्री में काम करने वाले 52 साल के हैंस वोन माट बताते हैं कि 20 साल तक कार के मालिक रहने के बाद उन्होंने फाइनली अपनी कार बेच दी. अब वह ज्यूरिख की ट्राम या फिर साइकिल से सफर करते हैं. शहर से बाहर जाने के लिए वह कार शेयरिंग सर्विस का इस्तेमाल करते हैं.
वह बताते हैं कि पिछले कई सालों से कार ड्राइव करना बहुत मुश्किल होता जा रहा था. ऑफिस जाते वक्त देर हो जाने के कारण बॉस की बातें सुननी पड़ती थीं. मजबूरी थी कि कार की स्पीड को तेज नहीं कर सकते थे. अब लगता है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट ड्राइविंग करने से ज्यादा अच्छा ऑप्शन है. शहर के स्टेटिस्टिक्स दिखाते हैं कि पिछले एक डिकेड से बिना कार के लोगों का परसेंटेज 40 से 45 परसेंट तक बढ़ा है. स्विस पार्लियामेंट के 91 परसेंट डेलिगेट्स काम पर जाने के लिए ट्राम यूज करते हैं.
No parking zone
सिहल का ज्यूरिख मॉल ब्रुकलिन मॉल से तीन गुना बड़ा है, लेकिन यहां पर पार्किंग स्पेस ब्रुकलिन मॉल की तुलना में आधे से भी कम है. जिसका रिजल्ट यह है कि यहां पर 70 परसेंट विजिटर्स पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ही आते हैं. यूरोप की कई बिल्डिंग्स ने कार पार्किंग प्लेस कम कर दी है. इससे कार यूज कम हो गया है.
Eco friendly cities
इनवायरमेंट फ्रेंडली मोड को अपना रहे शहरों में विएना से लेकर म्युनिख और कोपनहैगन शामिल हैं. इन शहरों ने अपनी सडक़ों पर कार ट्रैफिक बंद कर दिया है. बार्सिलोना और पेरिस की सडक़ों की कार लेन्स को बाइक शेयरिंग प्रोग्राम ने खत्म कर दिया है. लंदन और स्टॉकहोम में ड्राइवर्स एंटर करते ही वहां पर कंजेशन चार्जेस फेस करते हैं. इतना ही नहीं पिछले दो सालों में तो दर्जनों जर्मन सिटीज ने इनवॉयरमेंट जोंस का नेशनल नेटवर्क ज्वॉइन कर उस एरिया में सिर्फ लो कार्बन एमिशन कारों की ही एंट्री अलाउ की हुई है. ये शहर शापिंग मॉल्स और अपार्टमेंट बिल्डिंग का स्वागत तो तेजी से कर रहे हैं, पर बिल्डिंग्स के बाहर पार्किंग प्लेस को रेस्ट्रिक्ट किया हुआ है.
यहां से स्ट्रीट पार्किंग भी बिल्कुल गायब हो गई है. किसी समय कार कैपिटल कहा जाने वाला म्युनिख शहर आज वॉकर्स सिटी बन गया है. यूरोपियन इनवायरमेंट एजेंसी में एनर्जी और ट्रांसपोर्ट ग्रुप के हेड पेडेर जेनसन बताते हैं, शहरों को कार फ्री बनाने के उसके प्रयास बहुत तेज हो गए हैं.
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