उनका कहना है कि यह हीरे और ग्रेफीन से भी कठोर है.
शोधकर्ताओं की इस टीम का कहना है कि कार्बाइन के कुछ असाधारण गुण हो सकते हैं, अगर इसे बड़ी मात्रा में बनाया जा सके. कुछ विशेषज्ञ इसे बड़ी मात्रा में बनाए जाने की संभावना पर
सवाल उठा रहे हैं.
इस शोध को एसीएस नैनो नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
कार्बाइन असल में कार्बन परमाणुओं की एक श्रृंखला है जो एक दूसरे से दो या तीन रासायनिक बांडों के मार्फत जुड़े होते हैं.
ह्यूस्टन के राइस विश्वविद्यालय के बोरिस याकोब्सन ने अपने शोधपत्र में दिखाया है कि खिंचाव के मामले में कार्बाइन की क्षमता सभी ज्ञात पदार्थों में सबसे ज़्यादा है.
सुपर मटीरियल
ग्रेफीन में समानांतर कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला होती है और इसे दुनिया का सबसे मजबूत पदार्थ यानी ''सुपर मटीरियल'' माना जाता है.
लेकिन कार्बाइन इससे भी दो गुना मजबूत है.
वैज्ञानिक पहले इसकी गणना कर चुके हैं कि ग्रेफीन की एक पतली चादर को तोड़ने के लिए एक पेंसिल की नोक पर हाथी के बराबर ज़ोर लगाना पड़ेगा.
उन्होंने गणना की है कि कार्बाइन में, ग्रेफीन और कार्बन ट्यूब की अपेक्षा दोगुना और हीरे की अपेक्षा तीन गुना कठोरता होती है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि कार्बाइन को चुंबकीय सुपरकंडक्टर में बदला जा सकता है. इससे पहले कुछ वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कार्बाइन बनाने में सफलता हासिल की थी लेकिन इसकी प्रकृति बहुत ही अस्थिर थी.
राइस विश्वविद्यालय से ही जुड़े वसीली आर्तयूखोव ने कहा, "हमारा मकसद इन सभी चीज़ों को एक साथ लाकर एक पदार्थ के रूप में कार्बाइन की पूरी तस्वीर स्पष्ट करना था."
उन्होंने कहा कि तनाव की स्थिति में कार्बाइन स्थिर रहता है.
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