सात हफ्ते से कर रहे थे प्रदर्शन
मालूम हो कि 1989 के जून महीने में हजारों छात्र बीजिंग में कम्युनिस्ट शक्ति का हृदय स्थल माने जाने वाले थियानमेन चौक पर लोकतंत्र की बहाली के लिए सात हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन को खत्म करवाने के लिए सेना ने तीन-चार जून को आंदोलनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। लोगों को टैंकरों और बुलडोजर से कुचला गया। डोनाल्ड का कहना था कि जब सेना वहां पहुंची तो छात्रों को लगा कि उन्हें जगह खाली करने के लिए एक घंटे का समय दिया जाएगा लेकिन पांच मिनट में ही हमला कर दिया गया।
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छात्रों के साथ सैनिक भी मारे गए
इसमें छात्रों के साथ ही कई सैनिक भी मारे गए। चीनी इतिहास और भाषा का अध्ययन कर रहे फ्रांस के जीएन पियरे कैबेस्टन ने कहा कि ब्रिटेन के आंकड़े प्रमाणिक हैं। यह जानकारी अमेरिका द्वारा हाल में सार्वजनिक किए गए दस्तावेज में भी थी। उल्लेखनीय है कि चीनी सरकार ने जून 1989 के अंत में कहा था कि सैन्य कार्रवाई में 200 नागरिकों और कुछ दर्जन पुलिस व सैनिकों की ही जान गई थी। घटना के करीब तीन दशक बाद भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इस विषय को इंटरनेट और पाठ्यपुस्तक में प्रतिबंधित किया हुआ है। साथ ही इसपर किसी भी प्रकार की चर्चा करने पर रोक है।
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उदारवादी नेता की मौत से भड़के थे छात्र
कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबैंग की मौत के खिलाफ छात्रों ने थियानमेन चौक पर प्रदर्शन शुरू किया था। याओबैंग देश में लोकतांत्रिक सुधार की बात करते थे। उनके अंतिम संस्कार में करीब एक लाख लोग शामिल हुए थे। उनकी मौत के तीन दिन तक लोगों सड़कों पर जमा थे।
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