विदेश मंत्री विलियम हेग उस समीक्षा जाँच के नतीजे संसद में रख रहे थे जिसके तहत दावा किया गया था कि एक ब्रितानी सैनिक अधिकारी ने स्वर्ण मंदिर पर हुई सैनिक कार्रवाई की योजना तैयार करने में मदद की थी.
अपनी प्रतिक्रिया में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, "ब्रिटेन सरकार भारत सरकार को इस बारे में जानकारी देती रही है. ब्रिटेन सरकार ने अभी अपनी जाँच का नतीजा भी हमसे साझा किया. हमने रिपोर्ट देखी है और बयान पर भी हमारी नज़र थी."
ऑपरेशन ब्लूस्टार के प्रमुख रहे जनरल केएस बराड़ ने बीबीसी से कहा, "भारत को कोई सलाह नहीं दी गई थी. ऑपरेशन ब्लूस्टार की शुरुआत जून, 1984 में हुई थी, अगर उन्होंने सलाह दी थी तो उन्हें बताना चाहिए कि किसे सलाह दी थी. अगर सरकार को सलाह दी गई थी तो यह कभी सेना तक नहीं पहुँची थी, आपको इसके बारे में सरकार से पूछना चाहिए. अगर ब्रिटेन सरकार ऐसा कह रही है तो उसे इस बात का ब्यौरा देना चाहिए कि किसे, कब और क्या सलाह दी गई."
भारत सरकार के अनुसार इस कार्रवाई में तक़रीबन 400 लोग मारे गए थे. मृतकों में 87 सैनिक भी थे. सिख समूहों के अनुसार इस कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए थे.
सिखों का कहना है कि वे पिछले 30 सालों से अपने परिवार के मृत सदस्यों के लिए न्याय माँग रहे हैं.
ऑपरेशन ब्लूस्टार
विलियम हेग ने संसद को बताया कि ब्रिटेन ने भारत को कोई प्रशिक्षण या हथियार नहीं दिया था.
अमृतसर में सिखों के पवित्र धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में यह कार्रवाई अलगाववादियों को मंदिर परिसर से बाहर निकालने के लिए की गई थी.
हेग ने कहा कि ब्रिटेन की मदद पूरी तरह से 'केवल सलाह' के रूप में थी और यह इस कार्रवाई के कई महीनों पहले दी गई थी.
उन्होंने संसद को बताया कि भारत सरकार ने ब्रिटेन सरकार से तत्काल मदद की मांग की थी. भारतीय अधिकारी स्वर्ण मंदिर को सिख चरमपंथियों से मुक्त कराना चाहते थे.
भारत सरकार के मदद मांगने के बाद एक ब्रितानी सैन्य सलाहकार भारत भेजा गया. उसकी सलाह थी कि हमला करना आख़िरी विकल्प होना चाहिए.
इस सलाहकार ने हेलीकॉप्टर का प्रयोग करने और औचक कार्रवाई का भी सुझाव दिया था ताकि कार्रवाई में मरने वालों की संख्या कम से कम रहे.
हेग ने कहा कि ब्रिटेन ने भारत को किसी भी तरह का हथियार या प्रशिक्षण नहीं दिया था. भारत सरकार ने इस सलाह के तीन महीने बाद कार्रवाई की और उस समय परिस्थितियाँ उस समय से काफ़ी बदल गईं थीं जब यह सलाह दी गई थी.
यह जाँच कैबिनेट सचिव सर जेरेमी हेवुड ने की. उन्होंने इस मामले से जुड़ी 200 फ़ाइलों और 23,000 दस्तावेज़ों की जाँच की.
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