इस निर्णय से भविष्य में ब्रिटेन के अगली पीढ़ी के उन्नत परमाणु संयंत्रों में चीन की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है.
जॉर्ज ओस्बॉर्न ने चीन की अपनी सरकारी यात्रा के आखिरी दिन यह घोषणा की.
चीन के साथ पहला समझौता अगले हफ़्ते ही हो सकता है और ब्रिटेन में 14 अरब यूरो की लागत से बनने वाले नये हिंक्ले सी परमाणु संयंत्र को हरी झंडी दी जा सकती है.
ऊर्जा कमी की चेतावनी
गुरुवार को ब्रितानी प्रधानमंत्री को मिली एक रिपोर्ट में अगले कुछ सालों में उर्जा की कमी होने की चेतावनी दी गई है.
रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स का कहना है कि पुराने परमाणु संयंत्र बंद होने और नए परमाणु संयंत्रों के बनने में हो रही देरी की वजह से ब्रिटेन पर उर्जा संकट मंडरा रहा है.
2014-15 की सर्दियों में ब्रिटेन में उर्जा की कमी हो सकती है.
समरसेट में बनने वाला परमाणु उर्जा संयंत्र हिंक्ले सी, 1995 के बाद पहला परमाणु संयंत्र होगा.
साझीदारों की तलाश
इसका निर्माण फ़्रांस की बड़ी सरकारी कंपनी ईडीएफ करेगी. यह कंपनी इसके निर्माण पर आने वाली लागत को बांटने के लिए साझीदार या साझीदारों की तलाश कर रही है.
ईडीएफ हिंक्ले सी परियोजना के लिए चीन की परमाणु उर्जा क्षेत्र में काम करने वाली तीन बड़ी कंपनियों, सीजीएन, सीएनएनसी और एसएनपीटीसी से बात कर रही है.
इस हफ्ते इन तीनों तीनों कंपनियों ने चांसलर जॉर्ज ओस्बॉर्न से मुलाक़ात की है.
बीबीसी के वाणिज्य संपादक रॉबर्ट पीटरसन ने बताया कि इनमे से एक या दो को हिंक्ले सी में शायद 30 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी मिल सकती है.
भविष्य में बड़ी हिस्सेदारी
भविष्य में चीन की कंपनियों को परमाणु संयंत्रों में इससे भी बड़ी हिस्सेदारी मिल सकती है.
ब्रितानी सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि , " आने वाले समय में इसके बाद बनने वाले नए उर्जा संयंत्रों में बड़ी हिस्सेदारी मिल सकती है."
उर्जा मंत्री एड डेवी ने कहा, " मेरा मानना है कि इस हफ़्ते के आख़िर में चीन, जापान और कोरिया से आने वाला बड़ा निवेश ब्रिटेन में उर्जा आपूर्ति का भविष्य सुरक्षित करेगा."
समझौता ज्ञापन में चीन के परमाणु कार्यक्रम में ब्रितानी कंपनियों की भूमिका को भी शामिल किया गया है.
चीन में 17 परमाणु संयंत्र काम कर रहे है जिनकी चीन की बिजली उत्पादन क्षमता में कुल एक प्रतिशत भागीदारी है.
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