निवेशक भारत जैसे उभरते पूंजी बाज़ार से पैसा वापस निकालेंगे जिसका असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ेगा।
भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में अच्छा-ख़ासा क़ारोबार करती रही हैं। फिलहाल उन कंपनियों में एक लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर टाटा ग्रुप का क़ारोबार पूरे ब्रिटेन में फैला हुआ है। जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) ब्रिटेन में कार बनाने वाली अव्वल कंपनी है जिससे टाटा मोटर्स को लगभग 90 प्रतिशत राजस्व मिलता है।
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने की वजह से टाटा मोटर्स के मुनाफ़े पर असर हो सकता है।
भारत की कई आईटी कंपनियों के लिए भी ब्रिटेन एक बड़ा बाज़ार है जो ब्रितानी बाज़ार से अपनी कमाई का 6-18 प्रतिशत हिस्सा हासिल करती हैं।
इन कंपनियों पर इसका हाल के दिनों में असर ये हो सकता है कि उन्हें आर्थिक नुक़सान के साथ-साथ, दूसरे देशों में कंपनियों के साथ नए सिरे से समझौते करने पड़ सकते हैं।
कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत यूरोप के अन्य देशों की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश करता है। यूरोपीय बाज़ार में भारतीय कंपनियों की पहुंच काफ़ी मायने रखती है।
इन तमाम बातों के मद्देनज़र यूरोपीय संघ से अलग होने के ब्रिटेन के फ़ैसले का भारत पर असर पड़ना तय है।
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