परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
मांडर (रांची): उनकी शहादत की सूचना मिलने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। पूरे गांव में मातम छाया है। हालांकि, मां की तबीयत खराब होने के कारण यह दुखद सूचना उन्हें नहीं दी गई है। शुक्रवार दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंच सकता है। गांव के लोग वीर सपूत का अंतिम दर्शन करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि रंजीत खलखो अब नहीं रहे। गांव के लोगों का कहना है कि रंजीत मिलनसार व्यक्ति थे, छुट्टी लेकर घर आने के बाद सभी के सुख-दुख में जरूर शामिल होते थे। ड्यूटी पर जाने से पूर्व गांव के बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद लेना वे कभी नहीं भूलते थे। गांव के लोगों को जब उनकी शहादत की सूचना मिली तो उनपर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। लोगों की आंखों में आंसू तो नहीं है, पर चेहरे की उदासी स्पष्ट बयां कर रही है कि उन्होंने अपने लाल को खो दिया है।
एक माह बाद होनेवाली थी शादी
शहीद रंजीत खलखो बाक्सिंग चैंपियन थे। गिटार बजाने के साथ-साथ गाना भी लिखते थे। एक माह बाद ही उनकी शादी होने वाली थी। पिछली बार ही घर में बोल कर गए थे कि शादी के लिए अप्रैल माह में 14 दिनों की छुट्टी लेकर वे आएंगे। पर, वह हमेशा के लिए सभी को छोड़कर चले गए।
मां की तबीयत है खराब, नहीं दी गई सूचना
रंजीत खलखो की मां 50 वर्षीय रोलेन खलखो की तबीयत खराब है, इसलिए शहादत की सूचना उन्हें नहीं दी गई। यहां तक कि उनके घर के सामने न लोग जुट रहे हैं और न ही मीडियाकर्मियों को वहां पर जाने दिया जा रहा है।
रंजीत के पिता भी थे फौजी
बूढाखुखरा गांव के सेवानिवृत्त फौजी स्व। नागो खलखो के पांच पुत्र-पुत्रियों में सबसे बड़ा रंजीत था। पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गई थी। उसकी बड़ी बहन रंजना खलखो चाईबासा में नर्स है। छोटा भाई राजेंद्र खलखो लापुंग प्रखंड में क्लर्क है, छोटी बहन सरस्वती खलखो पीजी के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। वहीं, सबसे छोटी बहन परिवा खलखो स्नातक करने बाद वह भी प्रतियोगी परीक्षाओं की की तैयारी में जुटी हुई है।
पांच जनवरी को ही गांव से लौटे थे रंजीत
शहीद के भाई राजेंद्र खलखो ने बताया कि रंजीत की पढ़ाई संत जांस स्कूल नवाटांड़ में हुई। वर्ष 2002 में मैट्रिक करने के बाद पांच बिहार रेजीमेंट में नौकरी लग गई। उनकी तैनाती गया छावनी में थी। तीन माह पूर्व 28 दिसंबर को छुट्टी में घर आए थे। पांच जनवरी को वे ड्यूटी पर गया चले गए। वहां से उसका तबादला कश्मीर के कुपवाड़ा में हो गया।
घर जाकर रांची सेना छावनी के जवानों ने दी शहादत की सूचना
बुधवार की रात लगभग आठ बजे रांची सेना छावनी से जवान अजीत एक्का व जवान सामवेल टिडू बूढ़ाखुखरा गांव पहुंचे और उनके भाई राजेंद्र खलखो को रंजीत के शहादत की सूचना दी। सूचना देने पहुंचे सेना के जवान अभी तक बूढ़ाखुखरा में ही हैं।
जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कुपवाड़ा में शहीद हुए रंजीत खलखो की शहादत को नमन किया है। कहा कि हमारे वीर जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। हमारी सरकार आंतकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है। ईश्वर शहीद रंजीत खलखो की आत्मा को शांति प्रदान करे और दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवार को संबल दे। पूरा झारखंड इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ है।
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