1- आखिरी सांस तक फंसा रहेगा राज
तमाम पुरानी सुपरहिट हिंदी फिल्मों में ऐसे कई सीन आपने देखे होंगे जिनमें कोई बूढ़ा बुजुर्ग बिल्कुल मर रहा होता है। उसकी सांसे अटक रही होती है, फिर भी वह मरते-मरते आखरी सांस तक एक अधूरा राज बता जाता है कि फिल्म का हीरो उस का नहीं बल्कि दीवान साहब का बेटा है।
हिंदी फिल्मों में नहीं होती लॉजिक नाम की कोई चीज,ये 10 सुबूत देखकर क्‍या कहेंगे?

 

2- हीरो या असली बाहुबली
हिंदी फिल्मों का हीरो असली दुनिया का सच्चा बाहुबली होता है। सलमान खान से लेकर रणवीर सिंह तक किसी फिल्मी सीन में 100 – 50 गुंडों की अकेले ही धुलाई कर देता है और भाई उसे जरा सी खरोच भी नहीं आती। कभी किसी सीन में हीरो साइकिल की आड़ लेकर गोलियों से बचने की कोशिश करता है। वाकई ऐसी दैवीय शक्ति तो बॉलीवुड फिल्मों के हीरो के पास ही हो सकती है।
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3- गुंडो की ही नहीं, हीरो करता है कानून की धुलाई
कानून की धुलाई के मामले में भी हमारे हिंदी फिल्मी हीरो कमाल हैं। फिल्म का हीरो सरेराह 50 लोगों को ठोक पीटकर बिछा देता है और पुलिस कभी भी उसे पकड़ने के लिए नहीं आती। ऐसा लगता है कि अपना हीरो कानून के दायरे में ही नहीं आता।
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4- डायरेक्टर है भगवान से बड़ा
हिंदी फिल्मों में दवा नहीं बस दुआ ही असरदार होती है। किसी हिंदी फिल्म के क्लाइमेक्स सीन में हीरो को 4-6 गोलियां लग चुकी होती हैं। उसके जिंदा बचने को लेकर डॉक्टर जवाब दे चुके होते हैं, लेकिन तभी हीरो की मंगेतर या उसकी मां भगवान की चौखट पर एक लंबा चौड़ा भाषण देते हैं और फिल्म का असली भगवान यानी डायरेक्टर Hero को तुरंत ही जिंदा कर देता है।
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5- एैरे गैरे सभी बन जाते है माइकल जैक्सन के सपूत
हिंदी फिल्मों में हीरो या हीरोइन राह चलते या शॉपिंग मॉल में कब अचानक डांस करना शुरू कर दें, कोई नहीं जानता। सबसे मजेदार बात तो यह है आकाशवाणी के रूप में बज रहा गाने का संगीत सुनकर आस पास खड़े आम लोग भी गणेश आचार्य जैसा धमाकेदार डांस करना शुरू कर देते हैं। ऐसा लगता है कि वो सभी लोग मां के पेट से डांस करना सीख कर आए हैं।
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6- कॉलेज है या रोमांस स्कूल
हिंदी फिल्मों के कॉलेज तो ऐसे होते हैं जिनमें पढ़ाई छोड़कर सब कुछ होता है। हीरो या हीरोइन कभी भी किसी असाइनमेंट या किसी प्रोजेक्ट की बात नहीं करते, बल्कि कॉलेज पार्टी, एक दूसरे को पटाने की बातें और रोमांस करते ही नजर आते हैं।
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7- कोर्ट में भी हीरोगिरी से बाज नहीं आते एक्टर
हिंदी फिल्मों में Hero या कोई दूसरा एक्टर कोर्ट केस के दौरान अचानक ही यह कहता है कि जज साहब मैं अपना केस खुद लड़ूंगा या फिर दूसरी पेशी के दौरान अचानक ही कह देता है कि मैं पेश करता हूं अपना आखरी गवाह जो इस केस का रुख ही पलट देगा। सच्चाई तो यह है कि कोर्ट केस के दौरान इन सभी कामों के लिए जज से पहले से परमिशन लेनी पड़ती है।
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 8- लड़की पटाने के लिए ही हीरो करता है रोड ट्रिप
हिंदी फिल्मों में Hero कभी भी यूं ही बेवजह खुली गाड़ी लेकर ट्रिप पर निकल जाता है और रास्ते में जो भी पहली लड़की मिले उसी से प्यार कर बैठा है। ऐसा लगता है कि Hero लड़की ढूंढने और उसे पटाने के लिए ही ट्रिप पर निकलता है।
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9- बम डिफ्यूज करना बच्चों का खेल
हिंदी फिल्मों का हीरो शायद मां के पेट से ही बम डिफ्यूज करना सीखकर आता है।उसे हमेशा पता होता है की दांत से या कटर से वो लाल या पीला वाला तार काट दो और बम अपने आप डिफ्यूज हो जाएगा।
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10- भाषण देने में नेताओं को भी छोड़ देंगे पीछे
पुरानी हिंदी फिल्मों में आपने कई ऐसे ड्रामेटिक सीन देखे ही होंगे जिनमें फिल्म का कोई मेल एक्टर ढेरों गोलियां लगने के बाद भी लंबा चौड़ा भाषण देता रहेगा। जब तक उसका भाषण पूरा न हो जाए तब तक उसकी सांस नहीं निकलती। वाकई हिंदी फिल्मी एक्टर्स भाषण देने के मामले में हमारे नेताओं से कम नहीं है। क्यों आप क्या सोचते हैं।
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