एबी ब्लड ग्रुप के लोगों की तादाद दुनिया की कुल आबादी का लगभग चार प्रतिशत है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ ऐसे लोगों की सोचने की ताक़त और याददाश्त में दिक़्क़तें आ सकती हैं.
'न्यूरोलॉज़ी' पत्रिका में हाल में प्रकाशित शोध के मुताबिक़ बर्लिंगटन स्थित वरमॉन्ट कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन के डॉक्टर मैरी कुशमैन के नेतृत्व में अमरीकी टीम ने लगभग 30 हज़ार लोगों से लिए गए आंकड़ों को आधार बनाया.
उम्र बढ़ने पर असर
शोध में 45 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया.
तीन साल के इस अध्ययन में पाया गया कि 495 लोगों की याददाश्त कमज़ोर हुई.
उनकी तुलना ऐसे 587 लोगों से की गई, जिनकी याददाश्त में कोई समस्या नहीं आई.
शोध के मुताबिक़ एबी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में याददाश्त कमज़ोर होनी जैसी दिक़्क़तें छह प्रतिशत तक पाई गई, जबकि दूसरे लोगों में यह आंकड़ा लगभग चार प्रतिशत रहा.
संतुलित आहार है उपाय
शोध के मुताबिक़ अध्ययन में पागलपन जैसी हालत में पहुंचने की दशा को शामिल नहीं किया गया था.
डॉक्टर कुशमैन के मुताबिक, "हमारे अध्ययन में ब्लड ग्रुप और याददाश्त पर इसके असर को शामिल किया गया था, लेकिन कई शोध पहले भी बता चुके हैं कि उच्च रक्तचाप, कॉलेस्ट्रॉल का ऊंचा स्तर और मधुमेह से याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है."
शोध टीम से जुड़े डॉक्टर साइमन रिडले कहते हैं, "मौजूदा प्रमाण बताते हैं कि दिमाग स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीक़ा संतुलित आहार, धूम्रपान से दूरी और नियमित व्यायाम है."