सोने की खरीदारी बढ़ गई थी
नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी से बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी की गई थी या फिर इन अज्ञात पैसों को फर्जी कंपनियां बनाकर उसमें खपाया गया था। नोटबंदी के बाद देशभर में पड़े छापों के दौरान यह जानकारी सामने आई थी। आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि ब्लैक मनी रखने वाले लोगों ने ये पैसे बैंकों में डिपॉजिट नहीं किए क्योंकि वे अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे। नोटबंदी के दौरान कई ज्वेलर्स ने लोगों की ब्लैक मनी को सोने में बदल दिया।
ज्वेलर्स ने लोगों की छिपाई पहचान
जांच में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल 8 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को सोने और जूलरी खरीदने में लगा दी। ज्वेलर्स ने इसके बाद अलग-अलग बिल देकर लोगों की असली पहचान छिपा ली। बता दें कि 8 नवंबर को ही पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी।
सूत्र ने बताया कि नोटबंदी को ज्वेलर्स ने अपनी बिक्री बढ़ाने का जरिया माना और वे ऐसे पैसों को गहनों की बिक्री दिखाकर बच गए। उन्होंने कहा कि ज्वेलर्स ने अज्ञात आय को सोने में बदलने का प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराया। जो बिल दिए गए वो अलग-अलग थे और दो लाख रुपए से कम के थे। इसके अलावा खरीदारों की सूची भी फर्जी थी। जांच के बाद पता चला कि कई खरीदार तो वित्तीय तौर पर काफी कमजोर थे और वे बिल में दिखाई गई राशि इतना पैसा खर्च करने की स्थिति में ही नहीं थे।
खरीदार की दी जानकारी सही या गलत
आयकर विभाग ने ज्वेलर्स से सवाल पूछा था कि कैसे नोटबंदी के बाद उनके पास इतनी मांग बढ़ी, खासतौर पर त्योहारी सीजन बीत जाने के बाद। आयकर रेडार के निशाने पर आए सेंको गोल्ड लिमिटेड के चेयरमैन शंकर सेन ने बताया कि हमने सभी खरीदारों द्वारा दिए गए नाम और कॉन्टैक्टस के आधार पर सारा रिकॉर्ड रखा है। हम इस मामले में विभाग की जांच में मदद कर रहे हैं और उन्हें सभी दस्तावेज मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्वेलर्स के लिए यह जांच पाना काफी मुश्किल है कि खरीदार ने सही जानकारी दी है या नहीं। खासकर तब जब खरीदारी दो लाख रुपये से कम की हो। गौरतलब है कि आयकर विभाग ने 29 नवंबर के बाद ब्लैक मनी वालों के खिलाफ जांच तेज कर दी थी। दरअसल इस समय तक विभाग सीबीडीटी और अन्य एजेंसियों से पैसों के मूवमेंट पर सूचनाएं एकत्र कर रहा था।
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