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PRAYAGRAJ: भाजपा संसदीय बोर्ड ने मंगलवार को इलाहाबाद संसदीय सीट से डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को प्रत्याशी बनाया तो बीस साल के अंतराल के बाद एक बार फिर डॉ. जोशी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगी. इसके पहले इस सीट से वर्ष 1999 में भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें करीब 50 हजार मतों से पराजित किया था तब वे कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी थी. इस बार डॉ. जोशी खुद भाजपा से चुनाव मैदान में उतरी हैं.
विरासत में मिली है राजनीति
डॉ. जोशी को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा खुद तीन बार इलाहाबाद संसदीय सीट से जीत हासिल कर सांसद बने थे. वे पहली बार वर्ष 1971 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुने गए थे. उसके बाद वर्ष 1977 और वर्ष 1980 में बहुगुणा जी सांसद निर्वाचित हुए थे. डॉ. जोशी के भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं.
चुनाव से पहले भाजपा में हुई थी इंट्री
विरासत में राजनीति का ककरहा सीखने वाली डॉ. जोशी का कांगे्रस से वर्ष 2017 में मोहभंग हो गया था. उस समय उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने उन्हें लखनऊ कैंट से प्रत्याशी बनाया था. चुनाव में जीत हासिल करने पर डॉ. जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उनके करीबियों में शुमार विजय बहादुर सिंह ने बताया कि अब डॉ. जोशी को अपनी पिताजी के सपनों को साकार करने का मौका मिला है. जिसकी बुनियाद विकास के रूप में बहुगुणा जी के प्रयासों से यमुनापार में दिखाई देता है.
पहली महिला मेयर बनने का सौभाग्य
मेयर के रूप में भी डॉ. जोशी का नाम याद किया जाता है. जिसकी बड़ी वजह यही रही कि उन्हें जनता के द्वारा चुनने का अवसर प्राप्त हुआ था. नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद रतन दीक्षित बताते हैं कि डॉ. जोशी वर्ष 1995 से लेकर वर्ष 2000 तक मेयर थीं. वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरी थी. सपा व बसपा ने उनका समर्थन किया था. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जमुनोत्री गुप्ता को हराया था. उसके पहले तक पार्षदों द्वारा मेयर का चुनाव किया जाता था.
पैनल में था डॉ. जोशी का नाम
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले तक पूरी तरह से कांग्रेसी रही डॉ. जोशी का यह भाजपा से पहला लोकसभा चुनाव है. खास बात रही कि पार्टी की ओर से संसदीय बोर्ड को जो तीन नाम भेजा गया था उसमें डॉ. जोशी का भी नाम शामिल था. लेकिन इलाहाबाद के राजनैतिक गलियारों में लोग किसी और को टिकट दिए जाने का कयास लगा रहे थे. जिसमें मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का नाम सबसे ऊपर था.
पहली जीत की तलाश
डॉ. जोशी दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन जीत हासिल नहीं हुई थी. इसके पहले वे एक बार कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद तो दूसरी बार सुल्तानपुर में सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी थी लेकिन दोनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था.