कानपुर। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान बिशन सिंह बेदी का जन्म 25 सितंबर 1946 को पंजाब में हुआ था। बिशन बेदी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। 70-80 के दशक में बिशन सिंह बेदी भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाज हुआ करते थे। वह अपनी फिरकी में बड़े से बड़े बल्लेबाजों को चकमा दे देते थे। यही वजह है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर रहे शेन वार्न भी बेदी को अपना आदर्श मानते हैं। बेदी की गेंदबाजी की खासियत थी कि वह बिना एक्शन बदले चार तरह की गेंदबाजी कर लिया करते थे। उनकी यह कला उन्हें अन्य गेंदबाजों से अलग बनाती थी।

कपड़े धोकर अंगुलियों को बनाया मजबूत
बेदी ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज 1967 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था। वह करीब 12 साल तक भारत के लिए खेले। इस दौरान उन्होंने अपनी गेंदबाजी ही नहीं बतौर कप्तान काफी नाम कमाया। 67 टेस्ट मैच खेलकर 266 विकेट लेने वाले बिशन सिंह बेदी ने एक बार इंटरव्यू में कहा था कि, उनकी गेंदबाजी की ताकत उनकी अंगुलियां हैं। यही वजह है कि वह अपनी अंगुलियों को मजबूत बनाने और कलाई को फ्लेक्सिबल बनाने के लिए अपने कपड़े खुद धोया करते थे। हालांकि माॅर्डन क्रिकेट में गेंदबाज शायद अब इस टेक्निक पर ध्यान न देते हों मगर बेदी ने इसी कला में महारत हासिल कर भारतीय क्रिकेट इतिहास में अपना अलग नाम बनाया।


अंपायर ने कहा तुम चले जाओगे, हमे यहीं रहना है
बिशन सिंह बेदी ने कुछ समय के लिए भारतीय टीम की कमान भी संभाली थी। बतौर कप्तान उनका करियर काफी चर्चित रहा था। ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा साल 1976 का है। तब बेदी की अगुआई में टीम इंडिया टेस्ट सीरीज खेलने वेस्टइंडीज गई थी। सीरीज का आखिरी मैच किंग्सटन में खेला जा रहा था। एक वक्त भारत का स्कोर 1 विकेट पर 200 रन था। विंडीज कप्तान क्लाइव लाॅयड भारतीय टीम को मजबूत स्थिति में नहीं देख पाए। फिर क्या उन्होंने अपने तेज गेंदबाजों को बाउंसर और बीमर डालने का कहा जिसके चलते दो भारतीय बल्लेबाज चोटिल होकर अस्पताल पहुंच गए। बेदी ने अंपायर डगलस सैंग ह्यु से इसकी शिकायत की। तब अंपायर ने जवाब दिया था, 'मिस्टर बेदी, आप तो कुछ दिनों में यह देश छोड़कर चले जाओगे मगर मेरा परिवार यहीं रहता है।'

पाकिस्तान के खिलाफ खेला था विवादित मैच
बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी 1976 में टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया था। यह वो दौर था जब एकदिवसीय क्रिकेट की शुरुआत हुई थी। पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे खेलने के बाद 1978 में टीम इंडिया फिर पाकिस्तान दौरे पर गई थी। तीन मैचों की सीरीज का आखिरी मैच पाकिस्तान के साहीवाल में खेला गया। यह मैच काफी विवादित रहा क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को जानबूझकर मैच जितवाया था। दरअसल हुआ यूं कि पाकिस्तानी कप्तान मुश्ताक मोहम्मद ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया। पाक ने निर्धारित ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 205 रन बनाए। अब भारत का जीत के लिए 206 रन चाहिए थे।


बेदी ने खुद मान ली थी हार
भारत की तरफ से ओपनिंग करने आए अंशुमान गायकवाड़ ने शानदार पारी खेली। उन्हें सुरिंदर अमरनाथ का साथ मिला। हालांकि अमरनाथ तो 62 रन बनाकर आउट हो गए मगर गायकवाड़ 78 रन पर नाबाद डटे रहे। आखिर में भारत को मैच जीतने के लिए 26 गेंदों में 23 रन की जरूरत थी। सभी को लगा कि भारत यह मैच आसानी से जीत जाएगा। अगले ओवर में पाकिस्तानी गेंदबाज सरफराज नवाज बॉलिंग करने आए। नवाज ने लगातार चार गेंद बाउंसर फेंकी। बेदी ने इसके खिलाफ अपील की और अंपायर से इसे वाइड बॉल करने का कहा। मगर अंपायर बेदी की बात से सहमत नहीं हुए फिर क्या बिशन सिंह ने भारतीय बल्लेबाजों को वापस पवेलियन बुला लिया। भारतीय बल्लेबाजों के वापस लौटते ही पाकिस्तान को विजेता घोषित कर दिया गया। इस तरह भारत के हाथ से एक जिता हुआ मैच निकल चुका था।

 

 

Cricket News inextlive from Cricket News Desk