1- इस ट्रेन का ट्रैक 63 किलोमीटर लंबा है और इसकी शुरूआत 1913 ब्रिटिश शासन की सहयोग से गायकवाड़ राजा सयाजीरॉव ने की थी।
2- उस दौर में ये ट्रेन गायकवाड़ों के बड़ौदा स्टेट रेलवे के अंतर्गत आती थी। बड़ौदा के शासको के नियंत्रण में था।
3- इस ट्रेन को शुरू करने का उद्देश्य राज्य को शेष भारत से जोड़ना था।
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4- इसके साथ ही ये राज्य में बहुतायात में पाई जाने वाली सागवान लकड़ी को ढोने का काम भी करती थी।
5- स्वतंत्रता के बाद इसे पश्चिम रेलवे में मर्ज कर दिया गया। हालाकि इस एकमात्र ट्रेन के अलावा सभी मीटर गेज और नैरो गेज को ब्रॉड गेज में कन्वर्ट कर दिया गया।
6- इस ट्रेन में पांच कोच हैं और ये 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है।इसे अपनी यात्रा पूरी करने में 3 घंटे 5 मिनट का समय लगता है।
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7- बिलिमोरा-वाघई ट्रेन डीजल इंजन आने से पहले स्टीम इंजन से चलती थी। 1937 में इसमें डीजल इंजन लगाया गया और 1954 में इसके स्टीम इंजन को मुंबई के चर्चगेट स्टेशन में रेलवे हेरिटेज के रूप में रख दिया गया।
8- ट्रेन अपनी यात्रा के दौरान नौ स्टेशनों से गुजरती है। ये हैं गांद्वी, चिखली रोड, रैंकवा, ढोलिकुआ, अनवल, उनाई और वांसा रोड, केवड़ी रोड, काला अम्बा और डुंग्डा।
9- उससे भी मजेदार बाद है कि इस दौरान ट्रेन कई क्रॉसिंग से गुजरती है मगर वहां कोई गेट मैन नहीं है। ट्रेन हर क्रॉसिंग पर रुकती है और उसमें ही सवार एक रेलवे कर्मी हर क्रॉसिंग पर उतर ट्रैफिक को हटा कर गेट बंद करता है और ट्रेन के गेट पार करने के बाद गेट खोलता है और वापस ट्रेन में बैठ कर आगे बढ़ जाता है।
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10- सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ट्रेन दिन में दो बार अपने निर्धारित समय पर रवाना होती है पर उसका अपने गंतव्य पर पहुंचने पर का समय निश्चित नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस ट्रेन के टिकट बेचने का काम ट्रेन के गार्ड का ही है और वो सारे टिकट बिकने बाद ही र्टेन को आगे बढ़ाता है।Interesting News inextlive from Interesting News Desk
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