पटना ब्‍यूरो। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में गुरुवार को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र शुरू हुआ। पटना के यायत्री मंदिर में हजारों युवा ने पढ़ाई में बेहतर परफॉर्म, नशा छोडऩे व बेहतर नागरिक बनने का संकल्प कर पर्व किया शुरूआत किया। वहीं मंदिरों में अभिजित मूहूर्त में सुबह 11 बजे के बाद कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा हुई। सनातन धर्मावलंबियों ने घर, मंदिर एवं पूजा-पंडालों में विधि-विधान से वेदोक्त मंत्रोच्चार के साथ घट स्थापना किया । अहले सुबह से शाम तक कलश स्थापना का सिलसिला चलता रहा। गली-मुहल्लों एवं पूजा-पंडालों से वेद मंत्रो की ध्वनि गूंजने लगी है । बांस घाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर अखंडवासिनी मंदिर व पटन देवी मंदिर में माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु भीड़ की उमड़ी। पढि़ए रिपोर्ट

-तकरीबन छह हजार युवाओं ने लिया अनुष्ठान का संकल्प
नवरात्रि के शुरू होते ही शहर के कंकड़बाग स्थित यायत्री मंदिर में आयोजित शारदीय नवरात्र अनुष्ठान में ऑनलाइन व आफलाइन के माध्यम से जीवन में बेहतर करने की संकल्प तकरीबन 6 हजार युवाओं ने लिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ बिहार के संचालक मनीष कुमार ने बताया कि मंदिर परिसर में आकर 1600 यूथ ने संकल्प लिया जिसमें से 100 महिलाएं व लड़कियां हुई। तकरीबन 4700 यूथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़कर नवरात्रि का संकल्प लिया।

-प्रतिदिन चलेगा यज्ञ
अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ बिहार के संचालक मनीष कुमार ने बताया कि मंदिर परिसर संकल्प के बाद युवाओं एक हजार बार गायत्री जप किया फिर सुबह के 11 बजे तक यायत्री यज्ञ चला। उन्होंने बताया कि गायत्री यज्ञ नवरात्रि के सभी दिन आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मेडिकल, इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के साथ कई सरकारी पदों पर तैनात क्लास वन ऑफिसर भी अनुष्ठान में शामिल हुए।

-अद्र्धरात्रि में होगा निशा पूजा
बांस घाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर के पंडित नरेन्द्र ने बताया कि
श्रद्धालु ने माता को लाल पुष्प अर्पित कर सुख-समृध्दि के साथ सकल मनोकामना की पूर्ति की कामना किए। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस से संकल्प लेकर भक्तों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ, रामचरित मानस का पाठ, देवी भागवत का पाठ आरंभ किया। सप्तमी तिथि को अद्र्ध रात्रि में निशा पूजा का आयोजन होगा।

-दर्शन से होता है मनोकामना पूर्ण
गोलघर स्थित अंखडवासिनी माता के मंदिर में नवरात्रि के नौ वों दिन माता के दर्शन के श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से शाम तक लगी रहती है श्रद्धालु विनय ने बताया कि यहां माता के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। पंडित विशाला बाबा ने बताया कि पहले शैलपुत्री की रूप अखंडवासिनी माता की पूजा की गई। अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए।


-गंगा मिट्टी में जौ डालकर हुआ कलश स्थापना

आचार्य राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र के पहले दिन लोगों ने अपने-अपने घरों व पूजा पंडालों में गंगा मिट्टी में जौ डालकर उसके ऊपर कलश स्थापना विधि पूर्ण की। श्रद्धालु अपनी कामनाओं के अनुसार देवी की आराधना में जुट गये है । सनातन धर्मावलंबियों ने दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, राम रक्षा स्त्रोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र आदि का पाठ शुरू किया।

-चित्रा नक्षत्र में ब्रह्मचारिणी की पूजा आज

ज्योतिषी राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस में नवदुर्गा के पहली स्वरूप शैलपुत्री की पूजा बाद दूसरे दिन आश्विन शुक्ल द्वितीय में चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग के सुयोग में माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी । मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को ज्ञान, सदाचार, लगन, एकाग्रता व संयम रखने की श1ित प्राप्त होती है। श्रद्धालु अपने कर्म पथ से नहीं भटकता है तथा दीर्घायु होता है। जगतजननी की आराधना में कवच, अर्गला, कील के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ तथा विशेष मंत्र के जाप से श्रद्धालुओं के मनोकामना पूर्ण होंगे । कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाली माता दुर्गा अपने भ1तों का दु:ख, दरिद्रता, भय, रोग का नाश तथा निर्भयता, सुख ऐश्वर्य, यश, कामना व सिद्धि प्रदान करती है। मान्यता है कि देवी माता अपने शरणागत का हमेशा रक्षा व कल्याण करती है।