पटना ब्यूरो। " इस धरती पर सभी की जरूरत के लिए काफी कुछ है लेकिन लालच के लिए नहीं" महात्मा गांधी ने ये बातें कही थी। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इसे आत्मसात करने की जरूरत है। और तीन प्रमुख बातें हैं पर्यावरण संरक्षण के लिए। पहला, अपनी लाइफ स्टाइल को पर्यावरण के अनुकूल ढालना चाहिए। दूसरा, आज इकोनामिक सिस्टम ऐसी हो गई है जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है और तीसरा, सरकारी पॉलिसीज में भी सकारात्मक बदलाव भी किये जाने चाहिए। यह बातें बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कही। बिल्डिंग बन रही है उनमें शीशे का बहुत अधिक प्रयोग हो रहा है इस वजह से भी गर्मी बढ़ रही है और एसी का बहुत यूज हो रहा है। विषय के बारे में जानकारी बीआईए के इकोलॉजिकल सस्टेनेबिलिटी एंड इंडस्ट्री कमिटि के अध्यक्ष केपी भावसिंका ने दी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए मिलकर काम करने पर जोर दिया।
घटरी ग्रीनरी का मुद्दा उठा
जागरूकता कार्यक्रम में सभी गेस्ट का स्वागत बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केशरी ने शाँल और मोमेंटो देकर किया। कार्यक्रम के अंत में दर्शकों की ओर से पटना में घटती ग्रीनरी समेत कई और मुद्दे भी उठाए गए। विशेष तौर पर बेली रोड और बोरिंग रोड के आसपास ग्रीनरी की कमी पर चिंता जताई गई। सब्जेक्ट एक्सपर्ट ने बताया कि सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण की कई नीतियां मौजूद है लेकिन उसके अनुपालन की कमी है। इस अवसर पर बीए के पूर्व अध्यक्ष रामलाल खेतान पूर्व कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी, स्टेट नोडल ऑफिसर, बिहार के सलाहकार डॉ एनके अग्रवाल समेत अन्य उपस्थित रहे।
आहर पोखर बचाना होगा
कार्यक्रम के अगले हिस्से में नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बिहार के अंतरिम निदेशक डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि इस बार वर्ल्ड एनवायरमेंट डे की थीम है- लैंड रेस्टोरेशन, डिजरटिफिकेशन एंड ड्राउट रेसिलियंस। बिहार में भूमि का कटाव तेजी से हो रहा है। इसे रोकने के लिए ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स को काम करना चाहिए। कई वर्षों से आहर- पोखर की संकल्पना ध्वस्त हो रही है। कंक्रीट के जाल बिछाते चले जा रहे हैं। वाटर टेबल का रिचार्जिंग नहीं हो पा रहा है। अब भूमि संरक्षण और मरुस्थलीकरण की समस्या गंभीर हो गई है।