पटना ब्यूरो। यह बड़ा कंसर्न है कि वेटलैंड और बायोडायवर्सिटी जैसे पर्यावरणीय महत्व की बातें बहुत देर से आमजन के बीच पहुंची हैं, लेकिन पार्टिसिपेटरी अप्रोच के माध्यम से राज्य भर के वेटलैंड को बचाने की मुहिम आगे बढ़ सकती है। इसमें सरकार, सिविल सोसाइटी, वेटलैंड क्षेत्र के आस-पास के निवासी और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन - सभी शामिल हैं। ऐसा करके राज्य की विविधतापूर्ण बायोडायवर्सिटी को भी बचाया जा सकेगा। ये बातें बिहार स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरपर्सन भारत ज्योति ने पटना में वेटलैंड्स फॉर लाइफ- ए मीडिया कंसल्टेशन वर्कशॉप के दौरान अपने एड्रेस में कही। वर्कशॉप का आयोजन सेंटर फोर मीडिया स्टडीज की ओर से किया गया। भारत ज्योति ने अपने प्रेजेंटेशन वेटलैंड एंड बायोडायवर्सिटी: रिफ्लेक्शन ऑन परफेक्शन एंड इश्यूज के दौरान बताया कि वेटलैंड और बायोडायवर्सिटी के बीच क्या संबंध है और वेटलैंड को बचाए रखकर किस प्रकार बायोडायवर्सिटी को भी बचाया जा सकता है।
मंडरा रहा है संकट
इससे पहले कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि वेटलैंड धरती की किडनी है। यह बायोडायवर्सिटी का भी संरक्षण करती है, लेकिन शहरीकरण, अतिक्रमण और बढ़ते प्रदूषण की वजह से वेटलैंड पर संकट मंडरा रहा है। इंडो -जर्मन बायोडायवर्सिटी प्रोग्राम के डायरेक्टर रविंद्र सिंह ने वर्कशाप के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वर्कशॉप में बड़ी संख्या में पर्यावरण संरक्षण के विषय पर काम करने वाले मीडिया जगत की हस्तियां मौजूद रही। सेंटर फॉर मीडिया की निदेशक अनु आनंद ने मीडिया जगत के विभिन्न पत्रकारों से बिहार के वेटलैंड की घटती संख्या पर विचार-विमर्श किया।
जागरूकता रथ निकाली जाएगी
वर्कशॉप के अगले सेशन मीडिया राउंड टेबल डिस्कशन के दौरान आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सेव गंगा मिशन पर ग्राउंड वर्क करने वाले गुड्डू बाबा ने मंच से घोषणा किया कि वे वेटलैंड बचाने की मुहिम के साथ में जुड़ चुके हैं और जल्द ही पटना में इसी वर्ष दुर्गा पूजा के बाद वेटलैंड और पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता रथ निकाली जाएगी। उन्होंने कहा की इससे जन जागरूकता को बढ़ावा देने में व्यापक मदद मिलेगी।
संविधान में भी जिक्र
वर्कशॉप के दौरान सीएमएस के टेक्निकल एक्सपर्ट डॉक्टर प्रणव जे पाटर ने वेटलैंड संरक्षण के लिए प्रोग्राम, पॉलिसीज एंड गुड प्रैक्टिस के बारे में जानकारी दी। इससे जुड़ी एक रोचक जानकारी उन्होंने मंच से साझा किया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 51ए (जी) में पर्यावरण संरक्षण और बायोडायवर्सिटी को बचाने के संबंध में वर्णन किया गया है। उन्होंने रामसर साइट के डेजिग्नेशन और इससे जुड़ी जटिलताओं के बारे में भी अवगत कराया। वर्कशॉप में उपस्थित जमुई के डीएफ ओ तेजस जायसवाल ने नागी पक्षी अभ्यारण अभ्यारण और उससे जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।