पटना ब्‍यूरो। जीवन को परिभाषित करने वाली अमर रचना जीवन का झरना के महान कवि आरसी प्रसाद सिंह, प्रकृति, प्रेम, जीवन और यौवन के महाकवि थे। मैथिली और हिन्दी में समान अधिकार से लिखने वाले आरसी बाबू , बिहार के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में उन्हें गिना जाता हैं। वे भारत के उस शाश्वत जीवन-दर्शन का चित्रण प्रस्तुत करते हैं, जिसमें जीवन के प्रति एक रागात्मक वितराग है। जीवन क्या है निर्झर है मस्ती ही इसका पानी है यह बातें सोमवार को आयोजित जयंती-समारोह और काव्य-संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने जयंती पर आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी को स्मरण करते हुए कहा कि पिछली पीढ़ी के जिन मनीषियों को हिन्दी के उन्नायकों के रूप में स्मरण किया जाता है, उनमे श्रेष्ठतम स्थान पर द्विवेदी जी विराजमान है। संस्कृत, हिन्दी, बांगला और अंग्रेज़ी भाषाओं के अधिकारी विद्वान और पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित आचार्य द्विवेदी जी एक महान समालोचक, निबन्धकार और उपन्यासकार थे।
इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का शुभारंभ डा शंकर प्रसाद ने अपनी गजल की इन पंक्तियों से किया कि मेरा कि़स्सा कोई दुहरा रहा है फिर उन्के एक के बाद एक प्रस्तुति से सभागार गूंज उठा। कवि बच्चा ठाकुर,कवयित्री नीता सहाय,कवि प्रो इन्द्रकांत झा, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, अशोक कुमार, शंकर शरण मधुकर, युगेश कुशवाहा, दिनेश्वर लाल दिव्यांशु,मयंक कुमार मानस आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।