पटना (ब्यूरो)। देश की सुप्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 106 वां स्थापना दिवस समारोह तथा 43वां महाधिवेशन शनिवार पूर्वाहन से आरंभ होगा.यह महाधिवेशन हिन्दी की दो महान विभूतियों, महाप्राण पं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी को समर्पित किया गया है, जिनका यह 125वाँ जयंती वर्ष है। समारोह का औपचारिक उद्घाटन झारखण्ड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और महानदी जल-विवाद न्यायाधिकरण के सदस्य न्यायमूर्ति रवि रंजन, पूर्वाहन 11-30 बजे करेंगे.उद्घाटन समारोह में न्यायमूर्ति रंजन और मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को सम्मेलन की उच्च उपाधि विद्या वारिधि से अलंकृत किया जाएगा। विश्रुत विद्वान और माहात्मा गांधी द्वारा स्थापित राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष प्रो सूर्यप्रसाद दीक्षित को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि विद्या वाचस्पति से विभूषित किया जाएगा।
यह जानकारी देते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया है कि उद्घाटन-समारोह के पश्चात प्रथम वैचारिक-सत्र आरंभ होगा, जिसका विषय भारत की राष्ट्रभाषा और अन्य भारतीय भाषाओं पर इसका प्रभाव रखा गया है।
-बेनीपुरी की भाव-भाषा पर चर्चा होगी।
दूसरे वैचारिक-सत्र में महाप्राण निराला की काव्य-दृष्टि तथा तीसरे सत्र में रामवृक्ष बेनीपुरी की भाव-भाषा पर चर्चा होगी। वैचारिक-सत्रों में प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, स्वागताध्यक्ष डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा, मेरठ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रवीन्द्र कुमार, कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड, डा उपेंद्र नाथ पाण्डेय, जियालाल आर्य, डा शिववंश पाण्डेय, प्रो कलानाथ मिश्र, डा अनुराग शर्मा, डा शिव नारायण, डा निरुपमा राय, डा सुमेधा पाठक, सागरिका राय आदि अपने पत्र प्रस्तुत करेंगे।
संध्या में, सम्मेलन के कला विभाग द्वारा एक भव्य सांस्कृतिक-कार्यक्रम भी संपन्न होगा, जिसमें निराला की काव्य-कृति राम की शक्ति पूजापर नृत्य-नाटिका, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का नाटक हवालात, डा शंकर प्रसाद का गायन तथा लोक-नृत्य कजरी तथा मौखौटा-नृत्य की प्रस्तुति होगी।
अगले दिन 20 अक्टूबर को दो वैचारिक सत्र आहूत होंगे, जिनके विषय होंगे- विश्व बंधुत्व की अवधारणा और भारत तथा साहित्य के नए प्रश्न इन विषयों पर प्रो महेन्द्र मधुकर, डा जसबीर चावला (चंडीगढ़), डा विपिन कुमार (दिल्ली), आचार्य विजय रंजन (अयोध्या), डा वंदना बाजपेयी (दिल्ली), वीरेंद्र कुमार यादव, डा रत्नेश्वर सिंह आदि विद्वानों के व्याख्यान होंगे।