पटना (ब्यूरो)। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल पीएमसीएच में 46.17 करोड़ रुपए का ऑक्सीजन घट गया है। यह सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये हकीकत है। बात यहां अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की नहीं बल्कि अस्पताल परिसर और आस-पास मौजूद प्राकृतिक रूप से मौजूद पेड़ों से प्राप्त होने वाले ऑक्सीजन की हो रही है। एक तरफ जहां कोरोना काल में लोग थोड़े से ऑक्सीजन के लिए त्राहिमाम कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर प्रकृति से मिल रहे ऑक्सीजन की खुलेआम अनदेखी हो रही है और अस्पताल के डेवलपमेंट और बिल्डिंग निर्माण के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। अस्पताल में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान हो रही पेड़ों की कटाई पर जब अस्पताल के प्राचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में वन्य विभाग के निर्देश पर काम हो रहा है। अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या वन्य विभाग ने अस्पताल में हरियाली और पेड़ों को लेकर कोई और योजना बनाई है।
काट दिए 5 पेड़
दरअसल, पीएमसीएच कैंपस में कई पुराने और विशाल पेड़ थे, जिन्हें नई बिल्डिंग निर्माण की वजह से काटकर हटाया गया है। ऐसे में यहां के पेशेंट को और कैंपस के सभी लोगों को जहां इन पेड़ों से छांव और प्रचुर मात्रा में ताजी हवा मिलती थी, वह अब नहीं मिल पाएगी। एक्सपर्ट की मानें तो एक स्वस्थ पेड़ अपने जीवन काल 92 लाख रुपए से अधिक का ऑक्सीजन देता है। इस तरह ट्रांसप्लांट के नाम पर पीएमसीएच में छोटे बड़े पांच पेड़ को काट दिया गया है।
ट्रांसप्लांट के नाम पर धोखा
एक तरफ सीएम नीतीश कुमार जल जीवन हरियाली को बढ़ाने के लिए हर साल हजारों पौधे सूबे के हर जिले में लगवा रहे हैं। साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट कह दिया है कि विकास और निर्माण के नाम पर किसी भी पेड़ की बलि नहीं दी जाएगी। पुराने पेड़ों को रीलोकेट किया जाएगा, लेकिन विकास का काम कर रहे ठेकेदार सीएम के निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। पेड़ों को रीलोकेट यानी ट्रांसप्लांट के नाम पर धोखा हो रहा है। यहां चल रहे काम में न तो सही ढंग से पेड़ों को निकाला जा रहा है और न ही उसकी देख रेख की जा रही है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में भी यही नजारा देखने को मिल रहा है। भवन निर्माण के नाम पर छोटे बड़े मिलाकर अब तक पांच पेड़ काट दिए गए हैं। ऐसे कई पेड़ कटने बाकी हैं जहां भवन निर्माण कार्य होना है। यहां आने वाले लोगों की मानें तो अगर इसपर संबंधित विभाग ने संज्ञान नहीं लिया तो आने वाले समय में अस्पताल के पास का ग्र्रीन बेल्ट समाप्त हो जाएगा और हरियाली के नाम पर यहां शायद ही कुछ बचे।
1 पेड़ 1 दिन में 230 लीटर प्राण वायु देता है
पीएमसीएच में भवन निर्माण के नाम पर पीपल, बरगद सहित पांच छोटे बड़े पेड़ों की बलि दी गई है। विशेषज्ञों की मानें तो एक स्वस्थ पेड़ एक दिन में 230 लीटर ऑक्सीजन देता है। जिससे 7 लोगों को प्राण वायु मिलता है। 750 लीटर के एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 8500 रुपए के आसपास है। इस हिसाब से एक लीटर ऑक्सीजन का कीमत 11.50 रुपए के आसपास हुई। चुकी 1 स्वस्थ्य पेड़ 230 लीटर ऑक्सीन एक दिन में देता है तो इस हिसाब से 2645 रुपए का प्राण वायु प्रतिदिन देता है। एक स्वस्थ पेड़ की न्यूनतम आयु 100 वर्ष होती है। इस हिसाब से एक साल में एक पेड़ 923,450 रुपए की प्राण वायु देता है। तो 100 साल में 92,3450,00 प्राण वायु देता है। चुकी पांच पेड़ की बलि दी गई है तो इस हिसाब से 461,725,000 रुपए का ऑक्सीजन घट गया।
कई और पेड़ कटने की है संभावना
पीएमसीएच के अधिकारियों की मानें तो अस्पताल के सभी भवन जर्जर होते जा रहे हैं। मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए भवन का निर्माण कराया जा रहा है। मगर भवन निर्माण के बीच पडऩे वाले पेड़ों का अस्पताल प्रशासन की ओर से ध्यान नही रखा जा रहा है। समय रहते इन बड़े पेड़ों को नहीं बचाया गया तो आने वाले समय में प्रकृति से मिल रही प्राण वायु की मात्रा कम हो जाएगी। साथ ही पॉल्यूशन का लेवल भी बढ़ेगा।
अस्पताल में हो रहे निर्णाण कार्य के दौरान पेड़ों के ट्रांसप्लांट की बात कही गई थी। जो कुछ हो रहा है वो वन्य विभाग के दिशा निर्देश से हो रहा है। इसमें हम लोग कुछ नहीं कर रहे हैं।
- विद्यापति चौधरी, प्राचार्य, पीएमसीएच