पटना ब्यूरो। भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा मास है। चातुर्मास श्रावण मास से शुरू होकर कार्तिक मास में खत्म होता है। भाद्रपद मास 20 अगस्त मंगलवार से शुरू होकर 18 सितंबर बुधवार तक चलेगा। भाद्रपद स्नान-दान की पूर्णिमा को समाप्त होगा। इस मास के कृष्ण पक्ष में नवमी तिथि का क्षय तथा अमावस्या तिथि दो दिन होने से कुल 30 दिन का महीना होगा। सनातन धर्मावलंबियों के कई अहम व्रत व त्योहार मनाएंगे जाएंगे। शास्त्रों में इस मास को व्रत-उपवास, नियम-धर्म व निष्ठा का पालन, मन को शुद्ध करने एवं पवित्र भाव भरने के लिए उत्तम बताया गया है।
भाद्रपद मास में होंगे कई व्रत-त्योहार
ज्योतिष शास्त्र आचार्य राकेश झा ने बताया कि भाद्रपद मास में सनातन धर्मावलंबियों के कई अहम व्रत-त्योहार होंगे। जिसमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जया एकादशी, कुशी अमावस्या, विश्वकर्मा पूजा, हरितालिका तीज, गणेश चतुर्थी, चौरचन, ऋषि पंचमी, राधाष्टमी, कर्माधर्मा एकादशी, अनंत चतुर्दशी व अगस्त्य मुनि तर्पण शामिल है। भाद्रपद मास कर्म व बुद्धि के संतुलन तथा साधना से जीवन में सफलता पाने का संदेश भी देती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र में 26 अगस्त सोमवार को गृहस्थजन योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएंगे। इसके अलावे इस दिन अतिशुभकारी सर्वार्थ सिद्धि योग का भी सुयोग बन रहा है। वहीं साधु-संतों एवं वैष्णवजन की जन्माष्टमी 27 अगस्त मंगलवार को मनेगा।
कुशी अमावस्या
भाद्रपद कृष्ण अमावस्या सोमवार 2 सितंबर को मघा नक्षत्र एवं शिव योग में कुशी अमावस्या मनाई जायेगी। इस दिन सोमवती अमावस्या का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। ऐसे सुयोग में देव कार्य, पितृ कार्य, तर्पण, पिंड दान के अलावे वर्षभर धार्मिक कृत्य में उपयोग के लिए कुश उखाड़ा जाएगा।
हरितालिका (तीज)
भाद्रपद शुक्ल तृतीया 6 सितंबर शुक्रवार हस्त नक्षत्र व चित्रा नक्षत्र के युग्म संयोग एवं शुक्ल योग के साथ रवियोग में सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के साथ सौभाग्य में वृद्धि व कुंवारी कन्या अपने भावी सुखी दांपत्य जीवन के लिए शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। पौराणिक कथाओं का श्रवण करेंगी। इस व्रत में महिलाएं दिन भर उपवास कर सोलह श्रृंगार करने के बाद पार्थिवेश्वर महादेव व माता गौरी की पूजा करेंगी।
मिथिला का लोकपर्व चौरचन
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी में 6 सितंबर शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र एवं शुक्ल योग में मिथिलांचल का लोक पर्व चौरचन मनाया जाएगा। व्रती दिन भर उपवास कर चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा की पूजा एवं अघ्र्य देकर प्रार्थना करेंगी।
गणेश चतुर्थी या गणेशोत्सव
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी में 7 सितंबर शनिवार को चित्रा व स्वाति नक्षत्र के युग्म संयोग तथा ब्रह्म योग में विघ्नहर्ता गणेश का उत्सव मनाया जाएगा। यह दस दिवसीय उत्सव चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक होता है।
कर्मा-धर्मा एकादशी
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र व शोभन योग में 14 सितंबर शनिवार को कर्मा-धर्मा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा।
अनंत चुतर्दशी
भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के पूजनोत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी में 17 सितंबर मंगलवार को शतभिषा नक्षत्र व धृति योग में मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के बाद श्रद्धालु अनंत डोर बांधकर मीठा प्रसाद ग्रहण करेंगे।
अगस्त मुनि तर्पण
भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर बुधवार को पूर्वभाद्र व उत्तरभाद्र नक्षत्र के युग्म संयोग एवं बव करण में मनाया जाएगा। इस दिन देव व ऋ षि-मुनियों का तर्पण काश के फूल, सुपारी, खीरा व द्रव्य से किया जाएगा। जिसमें अगस्त्य मुनि का तर्पण प्रमुखता से किया जाता है। मान्यता है कि इनके नाम के उच्चारण से ही आने वाली विपदा खत्म हो जाती है।
भाद्रपद मास के प्रमुख पर्व-त्योहार
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी- 26 अगस्त
जया एकादशी- 29 अगस्त
कुशी अमावस्या- 2 सितंबर
हरितालिका तीज व्रत- 6 सितंबर
चौरचन- 6 सितंबर
गणेश चतुर्थी - 7 सितंबर
राधाष्टमी- 11 सितंबर
कर्मा-धर्मा एकादशी- 14 सितंबर
अनंत चतुर्दशी- 17 सितंबर
विश्वकर्मा पूजा- 17 सितंबर
अगस्त मुनि तर्पण पूर्णिमा- 18 सितंबर