पटना (ब्यूरो)। राजधानी पटना की सड़कों आवारा और बेलगाम पशु मुसीबत का सबब हैं। अचानक रफ्तार में चल रही गाड़ी के सामने इनके आने से एक्सीडेंट के केसेज बढ़ रहें हैं। वहीं, आवारा कुत्तों के काटने से पीडि़त व्यक्ति सूई लगवाने को अस्पताल का चक्कर काट रहे है। जानकारी हो अभी हाल ही में मुंगेर में श्रावणी मेले के दौरान पागल कुत्ते ने कई कावंरियों के एक साथ काट लिया। जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। कहीं ऐसी ही कोई बड़ी घटना यहां भी न हो जाए। ऐसी घटनाओं पर नगर निगम को संज्ञान लेकर सेफ्टी के लिए कदम उठाया चाहिए। लेकिन पटना नगर निगम की ओर से इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि जानवरों के ट्रैफिक के दौरान सामने आने से एक्सीडेंट की घटनाएं भी हो ही रही हैं।

पैदल चलना भी मुश्किल
कदमकुआं, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, सिटी चौक, हड़ताली मोड और अशोक राजपथ के आसपास आवारा पशुओं की समस्या सबसे ज्यादा दिख रही है। इसे लेकर न केवल वाहन चालकों बल्कि पैदल चलने वालों को भी बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि निगम के पास आवारा कुत्तों को पकडऩे के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है। दूसरी ओर पशुओं की संख्या भी बेहिसाब बढ़ रही है। इसके लिए भी पटना नगर निगम की ओर से प्रतिबंधात्मक कार्य नहीं किया जा रहा है। कंकड़बाग निवासी हितेश रंजन का कहना है कि रात में कुत्तों का झुंड सक्रिय रहता है। वे अचानक ही पीछा करने लगते हैं। इससे कई बार बाइक सवार और कार सवार भी जख्मी हो जाते हैं और कभी तो एक्सीडेंट भी कर जाते हैं। शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बरकरार है।

हर दिन आ रहे बाइटिंग के केस
पटना सिटी हो या प्रॉपर पटना का एरिया डॉग बाइटिंग के केसेज हर दिन दर्ज हो रहे हैं। एनएनसीएच के कम्यूनिटी मेडिसीन डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ अमिता सिन्हा ने बताया कि हॉस्पिटल कैंपस मेंं लगभग हर दिन डॉग बाइटिंग के केसेज आते रहते है। इसमें समय पर उपचार जरूरी है। हमलोग इस बात पर जोर देते हैं कि पेशेंट को इसका असर न हुआ हो। इसके लिए जल्द से जल्द केसेज के मुताबिक उपचार किया जाता है। उपचार का तरीका डिग्री ऑफ बाइट या इससे जुड़े जख्म पर निर्भर करता है। सामान्यत: अस्पताल में मौजूद इंजेक्शन से इसका प्रीवेंटिव केयर होत है। हालांकि जख्म गहरा होने या मल्टीपल बाइटिंग के केसेज में इनोग्लोब्लिन की जरूरत पड़ती है। कटे हिस्से की सफाई जरूरी है। इसी प्रकार, पीएमसीएच और गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में भी नियमित रूप से केसेज आते हैं।