Patna : पुलिस का बिहेव ठीक नहीं, बात करने का तरीका अजीब है। बुधवार की शाम छह बजे मेरा मोबाइल फोन हाथ से छीनकर एक लड़का सामने वाली गली में भाग गया। यह घटना पीरबहोर थाने के ठीक सामने हुई.
बिहेवियर के कारण चक्कर लगा रही
जब एफआईआर करने थाने गई तो वहां मौजूद ऑफिसर का कहना था-तो हम क्या कर सकते हैं? यह सुनकर चौंक पड़ी। इसके बाद भी उनके बात करने का तरीका अजीब था यह कहानी सीनियर एसपी ऑफिस में अपूर्वा पाठक सुना रही थी, जो एरिक्शन कंपनी में इंजीनियर हैं और 24 दिसम्बर को ही अपनी फैमिली के साथ न्यू ईयर सेलेब्रेट करने पटना आई है। लेकिन पुलिस के बिहेवियर के कारण चक्कर लगा रही हैं.
घर फोन कर बनाया दबाव
अपूर्वा अपने फादर आलोक पाठक के साथ सीनियर ऑफिसर्स से मिलने पहुंची थीं। लेकिन उस समय कोई मौजूद नहीं था। आलोक पाठक का कहना था कि नया ईयर क्या मनाएंगे थाना पुलिस का चक्कर लगा रहे हैं। अपूर्वा अपनी मां अरुणिमा पाठक के साथ मार्केटिंग करने गई थीं। रिक्शा का इंतजार कर रही थी। इसी दौरान यह घटना हुई। थाने में अप्लीकेशन देने के बाद उसकी रिसिविंग भी नहीं दी जा रही थी। साथ ही मोबाइन छीनने की घटना को चोरी या गुम होने का मामला बनाने को बोला जा रहा था। इसके अलावा थाने वाले को इस बात को लेकर भी आपत्ति थी कि घटना की जगह थाना के सामने न लिखें। हद तो तब हो गई जब घर पर भी फोन कर केस को बदलने का दबाव दिया गया.
स्थिति नहीं सुधरी
पुलिस के रवैये को लेकर खफा आलोक पाठक और अपूर्वा का कहना था कि स्थिति अब भी वही है। थाने आने वालों से बात करने का तरीका नहीं सुधरा। आज भी पब्लिक को थाने जाने में डर लगता है। अपूर्वा ने सवाल किया कि आखिर सच को छिपाने का दबाव क्यों डाला जाता है? इसका जवाब वो अगले दिन सीनियर ऑफिसर्स से जरूर पूछेगी.
बिहेवियर के कारण चक्कर लगा रही जब एफआईआर करने थाने गई तो वहां मौजूद ऑफिसर का कहना था-तो हम क्या कर सकते हैं? यह सुनकर चौंक पड़ी। इसके बाद भी उनके बात करने का तरीका अजीब था यह कहानी सीनियर एसपी ऑफिस में अपूर्वा पाठक सुना रही थी, जो एरिक्शन कंपनी में इंजीनियर हैं और 24 दिसम्बर को ही अपनी फैमिली के साथ न्यू ईयर सेलेब्रेट करने पटना आई है। लेकिन पुलिस के बिहेवियर के कारण चक्कर लगा रही हैं।
घर फोन कर बनाया दबाव अपूर्वा अपने फादर आलोक पाठक के साथ सीनियर ऑफिसर्स से मिलने पहुंची थीं। लेकिन उस समय कोई मौजूद नहीं था। आलोक पाठक का कहना था कि नया ईयर क्या मनाएंगे थाना पुलिस का चक्कर लगा रहे हैं। अपूर्वा अपनी मां अरुणिमा पाठक के साथ मार्केटिंग करने गई थीं। रिक्शा का इंतजार कर रही थी। इसी दौरान यह घटना हुई। थाने में अप्लीकेशन देने के बाद उसकी रिसिविंग भी नहीं दी जा रही थी। साथ ही मोबाइन छीनने की घटना को चोरी या गुम होने का मामला बनाने को बोला जा रहा था। इसके अलावा थाने वाले को इस बात को लेकर भी आपत्ति थी कि घटना की जगह थाना के सामने न लिखें। हद तो तब हो गई जब घर पर भी फोन कर केस को बदलने का दबाव दिया गया।
स्थिति नहीं सुधरी पुलिस के रवैये को लेकर खफा आलोक पाठक और अपूर्वा का कहना था कि स्थिति अब भी वही है। थाने आने वालों से बात करने का तरीका नहीं सुधरा। आज भी पब्लिक को थाने जाने में डर लगता है। अपूर्वा ने सवाल किया कि आखिर सच को छिपाने का दबाव क्यों डाला जाता है? इसका जवाब वो अगले दिन सीनियर ऑफिसर्स से जरूर पूछेगी.
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