पटना ब्‍यूरो। प्रांगण ने ऐसी कई हस्तियां दीं जो देश की पटल पर चमक रहे हैं। चाहे संजय उपाध्याय हो या अवधेश मिश्रा या फिर रंजन सिंह। इसी प्रांगण में अपनी कला की छठा बिखेरने का गुर सीखा। हम बात कर रहे हैं पटना स्थित प्रांगण सांस्कृतिक संस्थान की जो पिछले 45 सालों से कलाकारों को नाट्यकला की शिक्षा दे रही है। संस्थान के फाउंडर सचिव अभय सिन्हा ने बताया कि पटना के कलाकारों में प्रतिभा की कमी नहीं है। बस सही मंच मिलने की जरूरत है। प्रांगण ही एक ऐसा संस्था है जिसे राज्य से लेकर केन्द्र सरकार तक सहयोग मिल रहा है।

102 नाटकों की 495 बार हो चुका प्ले
अभय ने बताया कि 1981 में प्रांगण सांस्कृतिक संस्था का स्थापना की हुई थी। कलाकारों की यूनिटी के लिए संस्था की ओर से हर साल पाटलिपुत्र नाट्योत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकार एक ही मंच पर रंगारंग प्रस्तुतियां देते हैं। इसके अलावा, कला की शिक्षा को समर्पित प्रांगण कला केन्द्र में नृत्य, संगीत एवं अभिनय का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रांगण ने अब तक 102 नाटकों के 495 बारे मंचन किए हैं।

टीवी सीरियल में कलाकार कर रहे काम
अभय ने बताया कि संस्था द्वारा प्रशिक्षित दर्जनों कलाकार बॉलीवुड व टीवी सीरियल में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भोजपुरी फिल्मों में विलेन की भूमिका अदा करने वाले अवधेश मिश्रा यहीं से जुड़कर अभिनय की दुनिया में नाम रोशन किए हैं। वहीं मोहब्बतें, टीपू सुल्तान, जय हनुमान सहित कई टीवी सीरियल में डॉयरेक्टर की भूमिका अदा करने वाले कलाकार रंजन सिन्हा प्रांगण से जुड़कर ही कला के क्षेत्र में सफर की शुरुआत की थी। इसके अलावा वरिष्ठ रंगकर्मी संजय उपाध्याय सहित कई कलाकार प्रांगण से जुड़कर अपनी अलग पहचान बनाई है।

कलाकारों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का किया आयोजन
कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करने का श्रेय प्रांगण को है। इसका लोक-गीत-नृत्य दल भारत में एक विशिष्ट स्थान रखता है। प्रांगण ने नाटक और लोकनृत्य की अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में दर्जनों बार सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया है। ताज महोत्सव, खजुराहो महोत्सव और लोक नाट्य उत्सव (श्री राम सेंटर, नई दिल्ली) एवं राष्ट्रीय नाट्य उत्सव, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, गोवा, कोलकाता, भुवनेश्वर एवं चंडीगढ़ में भागीदारी प्रांगण का गौरव है।

भारत का किया प्रतिनिधित्व
प्रांगण के फाउंडर सचिव अभय सिन्हा ने बताया कि वर्ष 1997 में संस्था के कलाकारों द्वारा 14वां विश्व युवा महोत्सव, क्यूबा (हवाना) में भारत का प्रतिनिधित्व किया गया। इसके साथ ही 2005 में संस्था के 15 कलाकारों का दल भारतीय प्रवासियों के 160 वर्ष पूरा होने के अवसर पर त्रिनिडाड एवं टूबैगो (वेस्टइंडीज) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। साथ ही राष्ट्रमंडल खेल (कॉमनवेल्थ गेम्स) में लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी। प्रथम महिला विश्व कप कबड्डी प्रतियोगिता, पटना (बिहार) के उद्घाटन एवं समापन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी थी। 2013 में अपनी नाट्य प्रस्तुति कादम्बिनी का मंचन ढाका (बांग्लादेश) में किया। इसके अलावा भी यहां के कलाकारों ने बड़े प्लेटफॉर्म पर परफॉर्म किया है।

पटना में चार थिएटर की आवश्यकता
पटना के कलाकारों ने बताया कि कालिदास रंगालय के टूटने से कलाकारों को नाटक करने में परेशानी हो रही है। कलाकार संजय सिंह ने बताया कि कालिदास रंगालय की तरह प्रेमचंद रंगशाला है, मगर शहर के मध्य में नहीं होने से वहां तक पहुंचने में आम लोगों को सोचना पड़ता है। रविन्द्र भवन व नृत्य कला मंदिर का रेट इतना ज्यादा है कि कलाकार वहां कला प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।


शहर में नाटक करने के लिए एक थिएटर की आवश्यकता है, जहां कलाकारों को सभी सुविधा मिले। कालिदास रंगालय के टूटने के बाद कलाकारों को समस्या हो रही है।
-सोमा चक्रवर्ती, आर्टिस्ट

शहर के बीचोंबीच कम से कम चार थिएटर होनी चाहिए। जो थिएटर पहले से हैं उनका रेट बहुत ज्यादा है। थिएटर में लाइटिंग की व्यवस्था सही होनी चाहिए तभी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे।
-संजय सिंह, ज्वाइंट सेक्रेटरी, प्रांगण पटना

केन्द्र सरकर की ओर से प्रांगण कलाकारों को सहयोग मिल रहा है। राज्य सरकार की ओर भी हर साल सहयोग राशि मिलती है। थिएटर की व्यवस्था सही हो जाए जिसकी मांग कलाकार पिछले कई सालों से कर रहे हैं।
-अभय सिन्हा, फाउंडर सचिव, प्रांगण