पटना (ब्यूरो)। अगर आपसे ये कहें कि पटनाइट्स अगले दो साल के अंदर ड्रोन टैक्सी से शहर भ्रमण करेंगे तो सुनकर आश्चर्य लगेगा। मकर ये हकीकत। दुनिया की कुछ चुनी हुई कंपनियां इस बार काम कर रही है। इनमें से एक है पटना की स्टार्टअप विमानिका एयरोस्पेस, जिसने आईआईटी पटना की मदद से ड्रोन टैक्सी का निर्माण किया है। संस्था के सह संस्थापक सर्वजीत ने बताया कि ड्रोन टैक्सी तकनीकी रूप से पूरी तरह से तैयार है। सरकार की ओर से अनुमति मिलने पर शहर में इसे लांच किया जाएगा। अनुमति की प्रक्रिया में तकरीबन 18 से 24 महा का वक्त लग सकता है। इसके अलाव संस्था की ओर से एग्रीकल्चर ड्रोन और डिफेंस ड्रोन भी तैयार किया गया है, जो सेना को युद्ध के दौरान काम आएगा। इसकी प्रदर्शनी ज्ञान भवन में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समित में की गई है। बताते चलें कि समित के उदघाटन सत्र में उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
150 केजी वजन उठाने की होगी क्षमता
सर्वजीत ने बताया कि आईआईटी पटना के सहयोग से बनी ड्रोन टैक्सी की क्षमता 150 केजी की होगी। इस हिसाब से पायलट के साथ एक पैसेंजर बैठ सकते हैं। उन्होंने बताया कि ड्रोन टैक्सी बनाने का काम पिछले दो सालों से चल रहा था। उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में तकरीबन एक करोड़ रुपये खर्च हुए हंै। कुछ कार्य बचा हुआ है। उसके बाद लाइसेंस के लिए संस्था की ओर से आवेदन किया जाएगा।
हवाई जहाज की होगी फील
पटना में जाम के झाम की वजह से कई बार लोग आवश्यक कार्य समय से नहीं कर पाते हैं, मगर ड्रोन टैक्सी लांच होने के बाद आसानी व समय पर कार्य कर सकेगीे। क्योंकि ड्रोन को जमीन पर नहीं चलेगी। संस्था के अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन में बैठने वाले लोगों को हवाई जहाज का फील होगा। सर्वजीत ने बताया कि ड्रोन टैक्सी का बाजार देश में 1 ट्रिलियन रुपये अनुमानित है। उन्होंने बताया कि ड्रोन टैक्सी उड़ाने के लिए 400 लोगों वो अन्य कार्य के लिए 1 हजार कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। संस्था की ओर से देश के आठ राज्यों में ड्रोन संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके लिए बिहार सरकार व बैंक की ओर से फंड मुहैया कराया गया है।
-सेना के लिए बनाया डिफेंस ड्रोन
संस्था के फाउंडर मनीष दीक्षित ने बताया कि सेना में त्वरित कार्य के लिए डिफेंस ड्रोन भी तैयार कर लिया गया है, जिसकी क्षमता 30 केजी सामान उठाने की है। ड्रोन निर्माण कार्य पूरा होते ही भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय को पूरी रिपोर्ट भेजी जाएगी, जिसके बाद अनुमति मिलने पर सेना को दी जाएगी। इसके अलावा फसल में कीटनाशक दवा छिड़काव के लिए संस्था की ओर से एग्रीकल्चर ड्रोन भी तैयार किया गया है। इस ड्रोन के माध्यम से महज 10 मिनट में एक एकड़ फसल पर दवा छिड़काव संभव होगा। दवा छिड़काव में मात्र 10 लीटर पानी की खपत होगी। ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार है। आईआईटी पटना के रिसर्च स्कॉलरों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर इसका परीक्षण भी किया है। लाइसेंस मिलते ही इसे बाजार में उतारा जाएगा।