पटना (ब्यूरो)। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) में गुरुवार को खादी महोत्सव शुरू हुआ। यह महोत्सव भारत की समृद्ध विरासत और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है। इसका उद्देश्य खादी और ग्रामोद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प और स्थानीय स्तर पर निर्मित विभिन्न पारंपरिक और कुटीर उत्पादों को बढ़ावा देना है। साथ ही वोकल फॉर लोकल अभियान की विचारधारा को बढ़ावा देना है। इस दौरान खादी वॉक का भी आयोजन हुआ। इसमें निफ्ट पटना के स्टूडेंट्स ने खादी परिधान में रैंप वॉक कर यह बताया कि खादी फैशन के लिए है खादी राष्ट्र के लिए है। यह भी कम फैशनेबल नहीं है। महोत्सव में निफ्ट पटना के डायरेक्टर कर्नल राहुल शर्मा ने कहा कि खादी को बढ़ावा देना है ताकि इसकी अहमियत लोगों तक पहुंच पाए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आज की दुनिया में खादी के महत्व को उजागर करना, परंपरा को समकालीन फैशन के साथ जोडऩा है।

ह्वेन त्सांग और मार्को पोलो ने भी किया है खादी का उल्लेख
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ। माया शंकर ने खादी के महत्व पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए क्र"वंदे मातरमक्र" गीत के महत्व के बारे में बताया। बिहार संग्रहालय के अतिरिक्त निदेशक अशोक सिन्हा ने कहा कि खादी का उल्लेख ह्वेन त्सांग और मार्को पोलो जैसे ऐतिहासिक शख्सियतों ने किया था, जो बिहार की विरासत के साथ इसके गहरे संबंध पर जोर देता है। डॉ। मोहम्मद हनीफ मेवाती, निदेशक, केवीआईसी, एमएसएमई, भारत सरकार ने खादी के आर्थिक, पर्यावरणीय और रोजगार संबंधी लाभों के बारे में बात की और छात्रों को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर खादी से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित किया। इससे पहले निफ्ट पटना के निदेशक कर्नल राहुल शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

खादी की जड़ें प्राचीन काल से
उत्सव में खादी के महत्व पर एक जीवंत पैनल चर्चा हुई। इसका संचालन प्रोफेसर जयंत कुमार ने किया। इनटेक पटना चैप्टर के संयोजक भैरव लाल दास ने ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने कहा कि खादी की जड़ें प्राचीन काल से है, जिसमें मोहनजोदड़ो में पाए जाने वाले हस्तनिर्मित कपड़े का संदर्भ भी शामिल है। उन्होंने कस्तूरबा गांधी की एक बुजुर्ग महिला से मुलाकात की मार्मिक कहानी भी सुनाई, जो कपड़ों की कमी के कारण महात्मा गांधी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाई थी।

छात्रों ने संगीत की बारीकियां भी जानी
बांसुरी पर पंडित रोनू मजूमदार और तबले पर डॉ। श्याम पंडित सहित प्रसिद्ध कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियों ने उत्सव में मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के दौरान पंडित रोनू मजूमदार की बांसुरी व डॉ। श्याम पंडित के तबले की जुगलबंदी से लोग झूम उठे। कार्यक्रम के दौरान रोनू मजूमदार ने मैहर घराना और बनारसी ठुमरी गायन शैली से समृद्ध पंडित रोनू मजूमदार ने राग रागेश्री मे झपताल और तीन ताल के गत बजाएं। उन्होंने बच्चों को संगीत के विभिन्न बारीकियों के बारे में बताते हुए उसने उनके संगीत से जुड़े प्रश्नों का उत्तर समझाया। फिर उन्होंने बच्चों को साथ लेकर राग देश पर आधारित वंदे मातरम गीत गाया और बजाया। कार्यक्रम का समापन खादी फैशन वॉक के साथ हुआ, जहां निफ्ट पटना के छात्रों ने खादी कपड़े से बने अपने अभिनव डिजाइनों का प्रदर्शन किया।